नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल, राजनीतिक दलों के लिए चुनावी अखाड़ा बनता जा रहा है। चाहे सत्तारूढ़ दल भाजपा हो या मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी उनके नेताओं का जमावड़ा पूर्वांचल में लगा हुआ है। यही नहीं गठबंधन के भी सबसे ज्यादा प्रयोग दोनों राजनीतिक दल इसी इलाके में कर रहे हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि पूर्वांचल में ऐसा क्या है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न केवल अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में दो दिन डेरा डाले रहे, बल्कि वह पिछले 55 दिनों में 6 बार पूर्वांचल की यात्रा कर चुके हैं। इसी तरह भाजपा ने अपने 11 मुख्यमंत्रियों को न केवल काशी में मौजूदगी लगवाई बल्कि वे सभी अयोध्या भी पहुंच गए। इसी तरह अखिलेश यादव भी जौनपुर, आजमगढ़, सहित पूर्वांचल के दूसरे इलाकों में लगातार दौरे कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री खुद लगातार कर रहे हैं दौरे
भाजपा के लिए पूर्वांचल कितना अहम है, यह खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लगातार पूर्वांचल के दौर से साफ हो जाता है। 20 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन किया। और यह सिलसिला 9 मेडिकल कॉलेज के उद्घाटन, गोरखपुर में फर्टिलाइजर और एम्स का उद्घाटन, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन और बलरामपुर-बहराइच में सरयू नहर प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया। और 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट का उद्घाटन तक चलता रहा है।
अखिलेश यादव का भी पूर्वांचल पर फोकस
भाजपा की तरह समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव भी लगातार पूर्वांचल पर फोकस किए हुए हैं। इस समय वह समाजवादी विजय रथ यात्रा के तहत जौनपुर में हैं। इसके पहले वह पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के बाद उसी एक्सप्रेस-वे के जरिए अपनी यात्रा निकाल चुके हैं। हाल ही में उन्होंने पूर्वांचल में सवर्ण वोटरों को लुभाने के लिए बाहुबली और ब्राह्मण नेता हरिशंकर तिवारी के दोनों बेटों और भांजे को भी सपा की सदस्यता दिलाई है। इसके पहले उन्होंने मऊ क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए बाहुबली मुख्तार अंसारी के परिवार के लोगों को भी सपा की सदस्यता दिलाई, इसी तरह बलिया, प्रतापगढ़ से भी प्रमुख नेताओं को सपा में शामिल किया है।
पूर्वांचल में ही सबसे ज्यादा गठबंधन
नेताओं के जमावड़े के साथ भाजपा और सपा ने गठबंधन के लिए भी पूर्वांचल में ही सबसे ज्यादा फोकस किया है। भाजपा ने जहां निषाद पार्टी और अनुप्रिया पटेल के अपना दल के साथ गठबंधन किया है। वहीं अखिलेश यादव ने ओमप्रकाश राजभर के सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और उनके भागीदारी संकल्प मोर्चे के कई छोटे दलों के साथ भी गठबंधन किया है। इसके अलावा कृष्णा पटेल के अपना दल से भी गठबंधन किया है।
सत्ता की चाबी यहां से
पूर्वांचल में 150 से ज्यादा विधान सभा सीटें हैं। यानी पूरे प्रदेश की एक तिहाई से ज्यादा सीटें इस क्षेत्र से आती हैं। और पिछले चुनावी नतीजों को देखा जाय तो साफ है कि भाजपा की 312 सीटें जीतने में पूर्वांचल का बड़ा योगदान रहा है। भाजपा को पूर्वांचल में 2017 के विधान सभा चुनावों में 100 से ज्यादा सीटें मिली थी। और ऐसा प्रदर्शन भाजपा ने 1991 के बाद पहली बार दिखाया था। उस साल भाजपा को 80 से ज्यादा सीटें पूर्वांचल से मिली थी। इसी तरह 2012 में समाजवादी पार्टी को पूर्वांचल से 100 से ज्यादा सीटें मिलीं थी। वहीं 2007 में बहुजन समाज पार्टी को 80 से ज्यादा सीटें मिली थी। और इसी का परिणाम था कि इन सभी दलों ने बहुमत के साथ सरकार बनाई थी। ऐसे में साफ है कि लखनऊ की कुर्सी हासिल करने के लिए पूर्वांचल से सत्ता की चाबी निकलती है। इसलिए सभी भाजपा हो या सपा सभी ने उस पर दांव लगाया है।