नई दिल्ली: राहुल विदेश में हैं और पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू फिर अपने तेवर दिखा रहे हैं। उनके तेवरों से परेशान डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा ने गृह मंत्रालय छोड़ने की पेशकश कर दी है। सिद्धू से चन्नी के मंत्रियों की परेशानी रंधावा तक ही सीमित नहीं है। मंत्री भारत भूषण आशु ,भी सिद्धू को कांग्रेस की संस्कृति सीखने की नसीहत दे चुके हैं। जाहिर है चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, पार्टी में सिद्धधू और दूसरे कांग्रेस नेताओं के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है। और पार्टी के नेता उन पर अति महत्वाकांक्षी होने का आरोप लगा रहे हैं।
वरिष्ठ नेताओं ने सिद्धू के खिलाफ दिखाए तेवर
सिद्धू के बयानों से तंग आकर अब डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा ने गृह मंत्रालय छोड़ने की पेशकश कर दी। डिप्टी सीएम ने बीते रविवार को कहा कि सिद्धू अति महत्वाकांक्षी हैं। जब से मुझे गृह मंत्रालय मिला है, सिद्धू नाराज हैं। इसलिए मैं इसे छोड़ने के लिए तैयार हूं।
इसके पहले खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशु ने सिद्धू को नसीहत दी थी। उन्होंने कहा था किसिद्धू को कांग्रेस कल्चर सीखने की जरूरत है। पंजाब में सिद्धू मॉडल नहीं कांग्रेस मॉडल चलेगा। उन्होंने यहां तक कहा कि 'मैं' शब्द नहीं बल्कि संगठन बड़ा होता है।
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अभी चन्नी ही 'दूल्हा'
असल में जिस बात पर सिद्धू ने कैप्टन अमरिंदर के साथ तकरार की और वह पार्टी छोड़ने के मजबूर हुए। वह मुराद, सिद्धू की अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। पार्टी द्वारा चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनाने और सिद्धू को पार्टी अध्यक्ष बनाने के बावजूद, उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हो पाई है।
सिद्धू लगातार चुनाव प्रचार के दौरान इस बात की और इशारा कर रहे हैं, पार्टी उन्हें मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दे। हालांकि इस बीच रंधावा ने कहा है कि फिलहाल हमारे CM चरणजीत चन्नी ही 'दूल्हा' हैं। अगली बार कौन होगा? इसके बारे में MLA फैसला करेंगे। कांग्रेस में इस तरह नाम की घोषणा की कोई परंपरा नहीं है। रंधावा ने सिद्धू को यहां तक कह दिया कि पार्टी बड़ी होती है। सिद्धू की महत्वकांक्षा बहुत ज्यादा है। उन्हें कांग्रेस की संस्कृति सीखनी चाहिए।
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इसके पहले पंजाब कांग्रेस की प्रचार समिति के अध्यक्ष सुनील जाखड़ भी सिद्धू की उम्मीदों पर पानी फेर चुके हैं। उन्होंने बयान दिया था कि पार्टी "संयुक्त नेतृत्व" के तहत चुनाव लड़ेगी।
मोगा रैली से एकता दिखाने की थी योजना
राज्य में पार्टी की इसी कलह को रोकने के लिए 3 जनवरी को मोगा में रैली करने वाली थी। और वह संदेश देना चाहती थी कि पार्टी में सारे लोग मिलकर चन्नी के नेतृत्व में चुनाव में उतरेंगे। लेकिन राहुल गांधी के विदेश दौरे पर चले जाने से पार्टी को मोगा रैली निरस्त करनी पड़ी। और इस दौरान सिद्धधू और दूसरे नेताओं के बीच खींचतान नए स्तर पर पहुंच गई है। अब देखना है कि विदेश दौरे से लौटने के बाद राहुल गांधी इस खींचतान को कैसे संभालते हैं।
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