Sawal Public Ka : उत्तर प्रदेश के चुनाव में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीधी एंट्री हो गई। प्रधानमंत्री मोदी ने आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 5 जिलों में वर्चुअल रैली की। क्या प्रधानमंत्री की ये वर्चुअल रैली पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अखिलेश और जयंत के समीकरणों को ध्वस्त कर देगी ? क्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जिस कड़ी टक्कर का दावा हो रहा है, उसे प्रधानमंत्री मोदी के दम पर बीजेपी आसान बना लेगी ? आज सवाल पब्लिक का यही है।
उत्तर प्रदेश में एक ओर बीजेपी के दिग्गज अपना-अपना जोर लगा रहे हैं तो दूसरी ओर अखिलेश से मुकाबले के लिए करहल सीट पर केंद्रीय मंत्री एस पी सिंह बघेल को BJP ने मैदान में उतार दिया है। क्या अखिलेश को बघेल उनके घर में घेर पाएंगे?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत, शामली, गौतमबुद्ध नगर, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर में वर्चुअल रैली की। ये वो जगहें हैं जहां जाट वोटर सबसे ज्यादा प्रभावी है। जयंत-अखिलेश के गठबंधन और किसान आंदोलन से पड़े असर को जाट लैंड में फैक्टर माना जा रहा है। आज प्रधानमंत्री मोदी ने वर्चुअल रैली से इन 5 जिलों की 22 विधानसभा के वोटर्स को साधने की सीधी कोशिश की। इन 22 सीटों पर 2017 विधानसभा के नतीजों को देखें तो BJP को 17, समाजवादी पार्टी को 2, कांग्रेस को 2 और RLD को 1 सीट मिली थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी वर्चुअल रैली में 2017 और 2022 के फर्क को बताने की कोशिश की। प्रधानमंत्री ने समाजवादी पार्टी के टिकटों के बहाने भी अखिलेश को घेरा। BJP के कैम्पेन में बार-बार बताया जा रहा है कि अगर उत्तर प्रदेश में BJP की सत्ता में वापसी नहीं हुई तो राजनीति के अपराधीकरण का दौर लौट आएगा। लेकिन जवाब अखिलेश का भी तैयार है। उन्होंने कल ही ट्वीट करके कहा था कि BJP की सूची में दागी उम्मीदवारों का शतक पूरा होने वाला है।
उधर आज जब अखिलेश ने मैनपुरी की करहल सीट से पर्चा भरा तो बीजेपी ने चौंकाते हुए केंद्रीय मंत्री एस पी सिंह बघेल को वहां से उतार दिया। एस पी सिंह बघेल ने भी करहल की सीट से अपना पर्चा भर दिया है। अखिलेश के सामने एस पी सिंह बघेल सोशल इंजीनियरिंग वाला कार्ड हैं।
कभी मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे एस पी सिंह बघेल मोदी सरकार में कानून राज्य मंत्री हैं। वो BJP में आए तो 2015 में BJP के OBC मोर्चा के अध्यक्ष बनाए गए। बघेल धनगर जाति के हैं। लेकिन धनगर जाति को अखिलेश यादव ने अपनी सरकार में अनुसूचित जाति की लिस्ट में डाला था। और इसी आधार पर 2017 और 2019 के चुनावों में एसपी सिंह बघेल अनुसूचित जाति की रिजर्व सीटों पर चुनाव लड़े थे। लेकिन एसपी सिंह बघेल को कितनी कठिन चुनौती मिली है, इसे समझने के लिए मैं आपको एक आंकड़ा दिखाती हूं।
करहल सीट पर 3 लाख 70 हजार से अधिक वोटर हैं, जिनमें से 38 फीसदी यादव हैं। करहल में बीते 5 में से 4 चुनावों में समाजवादी पार्टी की जीत हुई थी। समाजवादी पार्टी को यहां पर 2017 में 49.81% वोट, 2012 में 46.9% वोट और 2007 में 45.2% वोट मिले। यानी उत्तर प्रदेश में किसी की भी लहर रही हो, करहल सीट पर बीते तीन चुनाव में समाजवादी पार्टी को 45% से अधिक वोट मिले। 2002 में बीजेपी ने यहां पर जीत दर्ज की थी।
वैसे जब उत्तर प्रदेश में बीजेपी और समाजवादी पार्टी एक-दूसरे को घेरने का मौका नहीं छोड़ रहे, तो आज संसद में 2 खास तस्वीरें दिखीं। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने मुलायम सिंह यादव के पैर छुए। जबकि केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने मुलायम सिंह यादव को सहारा दिया। वैसे तो ये सामान्य शिष्टाचार है, लेकिन उत्तर प्रदेश के चुनाव में ये तस्वीरें भी सियासी मायने रख सकती हैं।
तो आज सवाल पब्लिक का ये है:-
1. अबकी बार जाटलैंड में मोदी फैक्टर का कितना असर होगा ?
2. क्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जोर लगाकर 2017 जैसा प्रदर्शन दोहरा पाएगी BJP?
3. क्या उत्तर प्रदेश की तस्वीर बदलने का BJP का नारा कारगर है ?
4. क्या अखिलेश को घर में घेर पाएंगे एस पी सिंह बघेल ?