Sawal Public Ka: उत्तर प्रदेश की चुनावी लड़ाई जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है। नेताओं का दांव साफ हो रहा है। योगी आदित्यनाथ को BJP गोरखपुर से चुनाव लड़ा रही है तो आज अखिलेश यादव ने भी कहा कि आजमगढ़ की जनता अगर कहेगी तो मैं चुनाव लड़ूंगा। इसलिए आज सवाल पब्लिक का...कि क्या पूर्वांचल में ही उत्तर प्रदेश की असली लड़ाई है? और क्या योगी आदित्यनाथ के गोरक्षनाथ मठ वाले दांव पर आजमगढ़ मॉडल से अखिलेश जवाब दे सकते हैं?
आजमगढ़ से चुनाव लड़ने का संकेत अखिलेश ने उस दिन दिया है, जिस दिन मुलायम परिवार की बहू अपर्णा यादव बीजेपी में शामिल हुई हैं। सवाल पब्लिक का...कि क्या ये योगी आदित्यनाथ के मंत्रियों को समाजवादी पार्टी में शामिल कराने का बदला है?
क्या आज उत्तर प्रदेश के चुनाव का एजेंडा सेट हो गया? आजमगढ़ समाजवादी पार्टी का सुरक्षित क्षेत्र माना जाता है। क्योंकि यहां मुसलमान और यादव दोनों का दबदबा है। अखिलेश ने चुनाव पर अभी अगर-मगर की बात की है, लेकिन उनके आजमगढ़ के गोपालपुर से चुनाव लड़ने की अटकलें हैं।
गोपालपुर समाजवादी पार्टी के लिए बेहद सुरक्षित सीट मानी जा सकती है क्योंकि यहां के तकरीबन साढ़े 3 लाख मतदाताओं में 60 हजार यादव हैं। मुसलमान वोटर्स की तादाद 40 हजार हैं, और दलित वोटर्स की संख्या 50 हजार है। गोपालपुर में बीते 5 में से 4 चुनाव में समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की है। 2017 में समाजवादी पार्टी के नफीस अहम द जीते थे। लेकिन अखिलेश ने अपने चुनाव लड़ने को लेकर एक दूसरी बात भी कही है। उन्होंने आज ये कहा कि मैं अगर चुनाव लड़ूंगा तो योगी आदित्यनाथ से पहले चुनाव लड़ूंगा।
तो अखिलेश का ये बयान उनके चुनावी प्लान को लेकर सस्पेंस खड़ा करता है। यहां सवाल पब्लिक का ये भी खड़ा होता है कि क्या योगी आदित्यनाथ के चुनाव लड़ने के ऐलान ने अखिलेश के सामने नाक का सवाल खड़ा कर दिया है?
उत्तर प्रदेश में 2002 के बाद से पहली बार कोई सिटिंग सीएम चुनाव लड़ रहा है। 2002 में राजनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री रहते हुए चुनाव लड़ा था। 2002 से लेकर अब तक मुलायम सिंह यादव, मायावती, अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री रहे, और सभी विधानपरिषद के सदस्य रहे। अबकी बार बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ के लिए गोरखपुर सदर की सीट तय कर ली है।
गोरखपुर योगी आदित्यनाथ का गढ़ है। वहां से वो पांच बार के सांसद रहे हैं। गोरक्षनाथ पीठ के प्रमुख होने की वजह से वहां उनका दबदबा है। पूर्वांचल की ये सीट बीजेपी के हिंदुत्व की राजनीति के लिए भी सुविधाजनक है। लेकिन जब अखिलेश ने चुनाव लड़ने को लेकर कोई पक्की बात नहीं की है तो बीजेपी को हमला करने का मौका मिल गया है। तो अखिलेश यादव पर केशव प्रसाद मौर्या तंज कर रहे हैं कि अखिलेश को चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं है।
लेकिन अखिलेश की लड़ाई को कमजोर समझना जल्दबाजी हो सकती है। अखिलेश यादव अगर आजमगढ़ से चुनाव लड़ते हैं तो M-Y यानी मुस्लिम-यादव समीकरण पर दांव आजमाने का संकेत देंगे। आज उन्होंने सरकार बनने पर समाजवादी पेंशन योजना फिर शुरू करने का ऐलान किया। जिसमें 1 करोड़ गरीब महिलाओं को 18 हजार रुपए सालाना दिए जाएंगे। अखिलेश 300 यूनिट फ्री बिजली का वादा भी कर चुके हैं। लोहिया आवास योजना दोबारा शुरू करने का भरोसा दे रहे हैं। आगरा एक्सप्रेसवे के पास सपेरा समाज का गांव बनाने जैसी बातें भी अखिलेश यादव ने की है। वादों और दावों के बीच पिछले हफ्ते ही योगी सरकार के 3 ओबीसी मंत्रियों को भी अपने पाले में मिला चुके हैं।
लेकिन बीजेपी ने अपने घर में लगी सेंध का जवाब मुलायम परिवार की बहू अपर्णा यादव को अपने साथ जोड़कर दिया। अपर्णा यादव के बीजेपी में शामिल होने को बीजेपी ने बड़ी अहमियत दी। जे पी नड्डा से लेकर योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्या ने अपर्णा का पार्टी में स्वागत किया।
सवाल पब्लिक का
1. योगी के गोरखपुर दांव का जवाब आजमगढ़ से देंगे अखिलेश?
2. योगी का चुनावी कार्ड अखिलेश की मजबूरी?
3. पूर्वांचल में ही उत्तर प्रदेश की असली लड़ाई है?
4. अपर्णा का BJP में शामिल होना अखिलेश से बदला है?