Sawal Public Ka : उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद से योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या से अपना सीधा संपर्क रखा है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण, अयोध्या में विकास के कामों और दीपावली पर सरयू घाट पर दीयों के जलाने जैसे तमाम कार्यक्रमों के सिलसिले में वो लगातार अयोध्या जाते रहे हैं। योगी आदित्यनाथ ने बीते 5 साल में अयोध्या के 42 दौरे किए हैं। अयोध्या विधानसभा सीट की बात करें तो राम मंदिर आंदोलन के बाद से ही यहां पर बीजेपी का दबदबा रहा है। 1991 से 2012 के पहले तक हर एक चुनाव में बीजेपी के टिकट पर लल्लू सिंह अयोध्या के विधायक बने। लेकिन 2012 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर तेज नारायण पांडे उर्फ पवन पांडे ने अयोध्या की सीट पर जीत दर्ज की। 2017 में एक बार फिर बीजेपी के टिकट पर वेद प्रकाश गुप्ता अयोध्या के विधायक बने।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण शुरू होने से बीजेपी के राम मंदिर आंदोलन की जीत हुई है। मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद पहली बार उत्तर प्रदेश में चुनाव हो रहे हैं, इसलिए अयोध्या से योगी के चुनाव लड़ने की अहमियत और ज्यादा बढ़ गई है। राम मंदिर निर्माण शुरू होने का माहौल यूपी चुनाव में पहले से असर डालने वाला है, अब अयोध्या से योगी को चुनाव लड़ाने का फैसला इस असर को बढ़ा सकता है।
योगी अयोध्या से चुनाव लड़ेंगे तो ये बीजेपी की राजनीति के लिए मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है। अयोध्या विधानसभा सीट से योगी आदित्यनाथ के चुनाव लड़ने से अयोध्या के अलावा आसपास के जिलों पर सीधा प्रभाव पड़ सकता है। ये जिले हैं -सुल्तानपुर, अमेठी, बाराबंकी, बस्ती, अम्बेडकरनगर, गोंडा। लेकिन यहां मैं आपको कुछ बातें याद दिलाना चाहती हूं।
योगी आदित्यनाथ पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। साथ ही वो पहली बार गोरखपुर से बाहर चुनाव लड़ेंगे। योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने से पहले तक गोरखपुर के सांसद रहे हैं। योगी के चुनाव लड़ने में एक और खास बात होगी। 2002 के बाद पहली बार उत्तर प्रदेश का कोई वर्तमान मुख्यमंत्री चुनाव लड़ेगा। 2002 में यूपी का मुख्यमंत्री रहते हुए राजनाथ सिंह ने चुनाव लड़ा था।
यूपी का युद्ध अयोध्या से जीता जाएगा?
2022 का ट्रंप कार्ड बनेगी अयोध्या?
जाति की राजनीति का सबसे बड़ा काट?
चुनावी फोकस में राम मंदिर का निर्माण ?
अवध और पूर्वांचल तक सीधा असर ?
अयोध्या दांव से अखिलेश का प्लान फेल?
रामजी करेंगे योगी का बेड़ा पार?
1980 के दशक में जब बीजेपी ने राम मंदिर आंदोलन शुरू किया था, उसी दौर में मंडल कमीशन की सिफारिशों से ओबीसी आरक्षण का दांव चला गया था। 2014 से ओबीसी वोट बैंक यूपी में बीजेपी का winning formula रहा है, लेकिन बीते 3 दिनों में अखिलेश यादव के खेमे में बीजेपी के कई ओबीसी नेता के जाने से एक माहौल जरूर बन गया है
हालांकि खलबली अखिलेश के खेमे में भी दिख रही है । आज महान दल के चीफ केशव देव मौर्य ने बीजेपी से टूटकर आ रहे ओबीसी नेताओं पर नाराजगी जताई । इसलिए आगे क्या होगा ये फिलहाल कहना मुश्किल है । क्योंकि बीजेपी अपने ओबीसी वोट बैंक को लेकर बेहद सतर्क है। अभी हमने कुछ दिन पहले एक सर्वे किया था तो ओबीसी वोट बैंक का बड़ा वर्ग बीजेपी के पाले में दिख रहा था..। अखिलेश और बीजेपी के बीच ओबीसी और खासकर गैर यादव ओबीसी वोट बैंक को लेकर लंबा गैप दिख रहा था। लेकिन बीजेपी के पास अखिलेश के मंडल दांव पर कमंडल राजनीति की सुविधा भी है। अयोध्या से योगी के चुनाव लड़ने में यही राजनीति हो सकती है। इस राजनीति से बीजेपी 80% वोट बैंक तक पहुंचने का दावा करती रही है।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 'मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं... चुनाव 80 बनाम 20 का होगा। 80 फीसदी समर्थन एक तरफ होगा, 20 फीसदी दूसरी तरफ होगा। मुझे लगता है कि 80 फीसदी सकारात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढ़ेंगे, 20 फीसदी हमेशा विरोध किए हैं, विरोध करेंगे लेकिन सत्ता बीजेपी की आएगी। बीजेपी फिर से सबका साथ, सबके विकास के अभियान को आगे बढ़ाने का कार्य करेगी।'
सवाल पब्लिक का
1. यूपी का 'युद्ध' अयोध्या से लड़ा जाएगा ?
मतलब ये कि योगी के अयोध्या से चुनाव लड़ने से क्या अवध, सेंट्रल यूपी से लेकर पूर्वांचल तक की सीटों पर सीधा असर पड़ेगा ?
2. अखिलेश के 'मंडल' कार्ड पर भारी 'अयोध्या का कमंडल'?
मतलब ये कि क्या ओबीसी वोटों को साधने की अखिलेश की लड़ाई बेअसर साबित होगी?
3. अयोध्या से योगी तो '80%' पर निशाना?
मतलब ये कि क्या हिंदुत्व की बीजेपी की राजनीति को फिर से धार मिलेगी?
4. रामजी करेंगे योगी का बेड़ा पार?
मतलब ये कि क्या अयोध्या में राममंदिर निर्माण शुरू होने का फायदा बीजेपी उठा लेगी?