नई दिल्ली: बीते शनिवार को जब सुबह-सुबह समाजवादी पार्टी नेताओं के घरों पर इनकम टैक्स के छापे पड़े तो यूपी की राजनीति में भूचाल आ गया। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे भाजपा का डर बताते हुए कहा कि अभी तो सीबीआई और ईडी भी आएंगे। भाजपा चुनावों में हार के डर से ऐसा कर रही है। क्योंकि जब चुनाव आते हैं तो ऐसी कार्रवाई होती है।
अखिलेश यादव जिस कार्रवाई को सत्ता का इस्तेमाल बता रहे थे, उस पर अब वित्त मंत्रालय ने खुलासा किया है। उसके अनुसार शनिवार को लखनऊ, मैनपुरी, मऊ, कोलकाता, बेंगलुरु और एनसीआर सहित विभिन्न स्थानों में फैले 30 से अधिक परिसरों पर छापेमारी की कार्रवाई की गई थी। इस दौरान कंपनियों के निदेशकों की अघोषित इनकम का पता चला है। और बेनामी संपत्ति का भी पता चला है। साफ है कि वित्त मंत्रालय के इस खुलासे के बाद भाजपा को अखिलेश यादव को घेरने का मौका मिल जाएगा। शनिवार को सपा नेता राजीव राय, आरसीएल ग्रुप के चेयरमैन मनोज यादव और जैनेंद्र यादव के घर पर छापेमारी हुई थी। जो सभी अखिलेश यादव के करीबी माने जाते हैं।
इस तरह छुपाई थी ब्लैकमनी ?
वित्त मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार , घर और कंस्ट्रक्शन के बिजनेस में लगी कई संस्थाएं करोड़ों रुपये के फर्जी खर्च के दावे में शामिल थीं। इसके लिए उन्होंने जाली बिल बुक, स्टाम्प पेपर एवं नकली सप्लायरों की हस्ताक्षरित चेक बुक सहित कई आपत्तिजनक दस्तावेज इस्तेमाल किए।
एक कंपनी के मामले में इसके निदेशकों की 86 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित आय का पता चला है। कंपनी से जुड़े एक व्यक्ति ने अपनी अघोषित आय के रूप में 68 करोड़ रुपये की राशि स्वीकार की है और उस पर कर चुकाने की पेशकश की है।
इसी तरह एक मालिकाना प्रतिष्ठान ने, पिछले कुछ वर्षों के दौरान 150 करोड़ रुपये से अधिक के बिजनेस से संबंधित अकाउंटिंग की जानकारी नहीं प्रस्तुत नहीं कर पाया। इसी तरह एक अन्य संस्था की जांच में भी यह पाया गया कि उसने अपनी अघोषित आय और निवेश को रूट करने के लिए शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया है। जांच के दौरान 12 करोड़ रुपये के ऐसे अस्पष्ट निवेश की पहचान की गई है। एक अन्य व्यक्ति के केस में एक शेल कंपनी में 11 करोड़ रुपये के संदेहास्पद निवेश और 3.5 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्तियों में निवेश का पता चला है।
कोलकाता से लिंक
छापेमारी में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि कोलकाता स्थित एक घर देने वाला एंट्री प्रोवाइडल भी शामिल था। जांच में यह पाया गया कि इन जालसाज कंपनियों के माध्यम से एंट्री ऑपरेटर ने 408 करोड़ रुपये की फर्जी शेयर पूंजी और 154 करोड़ रुपये के फर्जी अनसिक्योर्ड ऋण की आवास प्रविष्टियां प्रदान करने के लिए विभिन्न शेल कंपनियों का गठन किया था। तलाशी अभियान के दौरान हवाला लेनदेन का पर्याप्त मात्रा में डिजिटल डेटा भी मिला और उसे जब्त किया गया है। एंट्री ऑपरेटर ने उपरोक्त कार्यप्रणाली को स्वीकार किया है और 5 करोड़ रुपये की बेहिसाब कमीशन आय का भी खुलासा किया है।
भाजपा बना सकती है मु्द्दा
चुनावी मौसम में वित्त मंत्रालय के खुलासे के बाद भाजपा, सपा के खिलाफ पूरे मामले को भुनाने की कोशिश जरूर करेगी। अब देखना है कि समाजवादी पार्टी का क्या रूख होता है। क्योंकि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, यूपी चुनाव में इनकम टैक्स रेड, फोन टैपिंग से लेकर नए-नए मुद्ददे जुड़ते जा रहे हैं।