क्या वास्तव में कांग्रेस (Communacation gap in Congress) में जमीनी नेता अपने शीर्ष नेताओं से संवाद स्थापित नहीं कर पाते हैं। दरअसल यह सवाल इसलिए है क्योंकि 14 फरवरी को होने वाले दूसरे चरण के चुनाव से ठीक पहले अमरोहा सदर सीट (Amroha sadar seat)) से कांग्रेस उम्मीदवार सलीम खान(salim khan) ने पार्टी छोड़ समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। सपा में शामिल होने के बाद उनका पहला बयान आया कि कांग्रेस में कुछ लोग शीर्ष नेताओं से मिलने का मौका नहीं देते हैं। उन्होंने दो बार राहुल गांधी (Rahul Gandhi)और प्रियंका गांधी( Priyanka Gandhi से मिलने की कोशिश की। लेकिन मिल पाने में नाकाम रहा।
सलीम खान ने क्या कहा
सलीम खान कहते हैं कि कांग्रेस में दूसरी लाइन के नेता चाहते ही नहीं कि जमीन से जुड़े कार्यकर्ता शीर्ष स्तर तक सीधे अपनी बात रख सकें। ऐसी सूरत में उनके पास कांग्रेस छोड़ने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने कहा कि जब शीर्ष नेतृत्व अपने कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद स्थापित नहीं करेगा तो उसका असर जमीन पर दिखाई देता है। सलीम खान ने कहा कि उनकी तरफ से शीर्ष स्तर तक अपनी बात रखने की कोशिश की गई। लेकिन नतीजा सिफर रहा।
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क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि सलीम खान ऐसे पहले शख्स नहीं हैं जिन्होंने इस तरह का आरोप लगाया हो। इससे पहले कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे हिमंता विश्वा सरमा ने अपनी पीड़ा जाहिर की थी। उन्होंने कांग्रेस छोड़ने के बाद कहा था कि राजनीति कोई पार्ट टाइम जॉब नहीं है। लेकिन दुख की बात यह है कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व राजनीति को लेकर गंभीर नहीं है। इस विषय पर अपनी बात रखते हुए कुछ जानकार कहते हैं कि शीर्ष नेतृत्व की उदासीनता की वजह से कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ है।
दूसरे चरण में 9 जिलों की 55 विधानसभा सीटों पर चुनाव
14 फरवरी को दूसरे चरण में 9 जिलों में फैली 55 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, बदायूं और शाहजहां पुर में मतदान होगा।