UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश में दूसरे चरण का मतदान जारी है। 9 जिलों की 55 सीटों पर हो रहे वोटिंग पर सबसे बड़ा दांव भारतीय जनता पार्टी का लगा हुआ है। 2017 के चुनाव में भाजपा ने 38 सीटें जीती थीं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि क्या भाजपा पिछली बार का प्रदर्शन दोहरा पाएगी। इस बार भाजपा के लिए चुनौती भी, पिछली बार से बेहद अलग है। भाजपा को रोकने के लिए अखिलेश यादव ने मजबूत घेराबंदी कर दी है। जो कि 2017 के मुकाबले कहीं ज्यादा मजबूत है।
अखिलेश की घेराबंदी
2017 की हार से सबक लेते हुए, अखिलेश यादव ने इस बार कांग्रेस से दूरी बनाते हुए रालोद और केशव प्रसाद मौर्या के महान दल से गठबंधन किया है। और इन दो दलों के जरिए वह जाट और ओबीसी वोटर को अपने साथ जोड़ कर चुनावी नैया पार करना चाहते हैं। असल में अखिलेश यादव रालोद और महान दल के साथ मिलकर मुस्लिम, यादव, जाट और मौर्य जाति को वोटर को अपने पक्ष में कर 2017 से बेहतर प्रदर्शन करना चाहते हैं। पिछली बार कांग्रेस के साथ मिलकर समाजवादी पार्टी को 15 सीटें हासिल हुई थी।
मुस्लिम वोटर निर्णायक
दूसरे चरण में सहारनपुर, रामपुर, बरेली, मुरादाबाद, अमरोहा, संभल, बिजनौर, बदायूं और शाहजहांपुर जिले में वोटिंग हो रही है। इन 9 जिलों में रामपुर, मुरादाबाद, अमरोहा, बरेली, बिजनौर, संभल और बदायूं में मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में है। रामपुर और मुरादाबाद में 50 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। जबकि दूसरे जिलों में भी 20-40 फीसदी मुस्लिम आबादी है।
महान दल बनेगा किंगमेकर ?
दूसरे चरण में महान दल, सपा के लिए किंगमेकर साबित हो सकता है। उसकी वजह यह है कि बरेली, मुरादाबाद,बदायूं और शाहजहांपुर जिले में अच्छा खासा प्रभाव है। महान दल के संस्थापक केशव प्रसाद मौर्या ने 2012 में बसपा से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई थी। महान दल का मौर्य,सैनी, भगत, कंबोज, कुशवाहा, शाक्य, भगत जैसी पिछड़ी जातियों में असर है। 2012 और 2017 के विधानसभा चुनावों में महान दल के प्रदर्शन को देखा जाय तो उसे इस इलाके में 10 हजार से 40 हजार तक वोट 20-25 सीटों पर मिले थे। ऐसे में अगर इस बार समजावादी पार्टी, रालोद के साथ यह वोट बैंक जुड़ता है तो चुनाव परिणामों पर बड़ा असर दिख सकता है।
भाजपा की क्या है रणनीति
दूसरे चरण के चुनाव के पहले एक बार फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 80, 20 का बयान दिया है। जाहिर है पार्टी की कोशिश है कि 2017 की तरह इस बार भी उसे जीत हासिल हो जाए। इसके लिए उसे सबसे ज्यादा ध्रुवीकरण पर भरोसा है। इसके अलावा हिजाब विवाद और कानून व्यवस्था भी ऐसा मुद्दा है। जिसके जरिए भाजपा पिछली बार जैसा प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है।
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