UP Assembly Election 2022: भारतीय राजनीति में पिछले 30 साल से जिस मुद्दे ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है, वह श्रीराम जन्म भूमि मंदिर का निर्माण रहा है, और इस राजनीति का केंद्र अयोध्या रही है। इसी के दम भारतीय जनता पार्टी 2 सांसद वाली पार्टी से बढ़कर अब 300 सांसदों वाली पार्टी बन चुकी है। और पिछले 30 साल में यूपी का इस बार का चुनाव इस मुद्दे के आधार पर भी एकदम अलग है। क्योंकि ऐसा पहली बार हो रहा है जब भाजपा राम मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद यूपी में कोई चुनाव लड़ रही है। और जब चुनावी यात्रा अयोध्या पहुंच गई हो तो सबकी नजर अयोध्या पर रहेगी। और यह सवाल भी रहेगा कि भाजपा का इस बार कैसा प्रदर्शन रहता है।
राम जन्म भूमि की ऐसे दिलाई जा रही है याद
भाजपा हमेशा से यह कहती आई है कि श्रीराम जन्मभूमि का मुद्दा उसके लिए चुनावी नहीं भावनात्मक मुद्दा है। लेकिन वह वोटरों को इस मुद्दे को हमेशा याद दिलाते रहते हैं। जैसे इस बार के चुनाव में यह नारा पार्टी कार्यकर्ताओं के तरफ से इस्तेमाल किया गया है कि जो राम को लाए हैं, हम उनको लेकर आएंगे। इसके अलावा भाजपा से संबंधित लोग अयोध्या में वोटरों को लुभाने के लिए राम जन्म भूमि निर्माण स्थल की मिट्टी भी पैकेज में बांट रहे हैं। अयोध्या में 27 फरवरी को वोटिंग होगी।
राजनीति में अहम होती गई अयोध्या
राजनीतिक रुप से अयोध्या सबसे ज्यादा सुर्खियों में राम मंदिर आंदोलन के दौरान रही है। 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने शाहबानो केस के बाद हिंदुओं की नाराजगी दूर करने और विहिप द्वारा चलाए जा रहे राम मंदिर आंदोलन के दबाव में, विवादित बाबरी मस्जिद ढांचे के परिसर के पास शिलान्यास का अनुमति दी थी। और 9 नवंबर 1989 को राम मंदिर का शिलान्यास विहिप की अगुआई में किया गयाा।
राजीव गांधी ने इसका राजनैतिक फयदा लेने के लिए 1989 के लोक सभा चुनावों की शुरूआत भी अयोध्या से की थी। लेकिन कांग्रेस के लिए यह दांव काम नहीं आया और कांग्रेस को 1989 में लोकसभा चुनाव में केवल 15 सीटें मिली। वहीं भाजपा , जिसे पूरे देश में 1984 में केवल दो सीटें मिली थीं वह उत्तर प्रदेश में 8 सीटें जीत गई। और 1991 में भाजपा की कल्याण सिंह के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में पहली बार बहुमत के साथ सरकार बनीं। इसके बाद 1992 में विवादित बाबरी मस्जिद ढांचा के गिरने से लेकर नवंबर 2019 तक सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम मंदिर निर्माण का फैसला आने तक भाजपा के लिए यह मुद्दधा हिंदू राजनीति का केंद्र बन गया। जबकि विपक्षी दलों ने मुस्लिम वोटों के दूर होने के डर से दूरी बना ली।
योगी सरकार ने बढ़ाया फोकस
अयोध्या में रामजन्म भूमि ट्रस्ट द्वारा बनाए जा रहे मंदिर के अलावा योगी सरकार का फोकस अयोध्या को दुनिया के पर्यटन नक्शे पर बेहतर सुविधाओं के साथ लाना है। इसी के तहत एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बुलेट ट्रेन, राजमार्ग, फाइव स्टार होटल से लेकर अत्याधुनिक सुविधाएं विकसित करने का खाका तैयार किया गया। और अब भाजपा अपने इन कामों के जरिए यूपी में दोबारा सत्ता में पहुंचना चाहती है।
भाजपा के लल्लू सिंह रहे हैं 5 बार विधायक
राम जन्म भूमि आंदोलन शुरू होने के बाद से अयोध्या सीट पर सबसे ज्यादा भाजपा के लल्लू सिंह को जीत मिली है। वह 1991, 1993,1996,2002 और 2007 में लगातार विधायक रहे। हालांकि 2012 में लल्लू सिंह सपा के पवन पांडे से चुनाव हार गए थे। उस चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे बसपा के वेद प्रकाश गुप्ता, 2017 में भाजपा के टिकट पर जीत कर आए। और इस बार भी उन्हीं पर भाजपा भरोसा जताया है। उनका सपा के तेज नारायण पांडेय, कांग्रेस की रीता मौर्या और बसपा के रवि मौर्या से मुकाबला है। अयोध्या सीट पर ब्राह्मण और बनिया वोटरों की सबसे ज्यादा संख्या है। इसके बाद दलित, मु्स्लिम और यादव मतदाता असर डालते हैं। अयोध्या जिले में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं। जिसमें अयोध्या, गोसाइगंज, रूदौली, मिल्कीपुर और बीकापुर सीटें हैं।
साफ है कि इस बार का चुनाव भाजपा के लिए एक दम अलग है। और वह इसीलिए वोटरों को राम जन्मभूमि मंदिर की मिट्टी बांट कर यह याद दिलाने की कोशिश कर रही है कि उसने जो वादा किया था, वह पूरा हो गया है।