UP Assembly Election 2022: दस मार्च को घोषित होने वाले 5 राज्यों के विधान सभा चुनाव के नतीजे में सबसे हॉट राज्य उत्तर प्रदेश है। और उस उत्तर प्रदेश में करीब 35 हॉट सीटें हैं, जिनकी हार जीत पर सबकी नजर रहेगी। यह सीटें, ऐसी हैं जिनके रिजल्ट से पूरे प्रदेश का मिजाज समझा जा सकेगा। इन सीटों में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की करहल सबसे हॉट सीट है। इसके अलावा कई अहम सीटें हैं, जहां पर दल-बदलुओं की साख दांव पर है। तो कई पर छोटे दलों के मुखिया खुद मैदान में हैं। तो आइए जानते हैं कि ये हॉट सीटें कौन सी हैं...
गोरखपुर सदर
गोरखुपर सदर उत्तर प्रदेश की सबसे हॉट सीट है। क्योंकि यहां से भाजपा की तरफ से खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनावी मैदान में हैं। योगी के खिलाफ आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद, समाजवादी पार्टी की शुभावती शुक्ला, बहुजन समाज पार्टी के ख्वाजा शमसुद्दीन मैदान में हैं। जबकि कांग्रेस से डॉ. चेतना पांडेय ने टक्कर दी है।
करहल
गोरखपुर के बाद मैनपुरी की करहल सीट पर सबकी नजर है। यहां से अखिलेश यादव खुद मैदान में हैं। अखिलेश यादव पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। और उन्हें टक्कर मोदी कैबिनेट में मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल ने दी है। जो कभी मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी हुआ करते थे। करहल इसलिए अहम है क्योंकि यह मुलायम सिंह परिवार का गढ़ है। बसपा ने यहां से कुलदीप नारायन तो कांग्रेस ने गायत्री यादव को मैदान में उतारा है।
जहूराबाद
गाजीपुर की जहूराबाद सीट से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर मैदान में हैं। भाजपा ने ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ कालीचरन राजभर को मैदान में उतारा है। जबकि बसपा ने शादाब फातिमा को मैदान में उतारकर लड़ाई को रोचक बना दिया है। इसके अलावा कांग्रेस ने ज्ञान प्रकाश को मैदान में उतारा है। पिछली बार इस सीट पर ओम प्रकाश राजभर ने जीत हासिल की थी। उस वक्त वह भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे थे। इस बार उन्होंने अखिलेश यादव के साथ मिलकर चुनाव लड़ा है।
फाजिल नगर
योगी सरकार में कद्दावर मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस बार सपा के टिकट से फाजिल नगर से चुनाव लड़ा है। उनके खिलाफ भाजपा ने सुरेंद्र कुशवाहा, बसपा ने ईलियास और कांग्रेस ने सुनील मनोज सिंह को मैदान में उतारा है। पिछली बार यह सीट भाजपा के खाते में गई थी।
रामपुर सदर
रामपुर सदर सीट पर 9 बार विधायक रहे सपा नेता और मौजूदा सांसद आजम खान का वर्चस्व रहा है। लेकिन इस बार उनके जेल से चुनाव लड़ने और उनके प्रतिद्वंदी आकाश सक्सेना के बीच सीधी टक्कर से चुनाव काफी रोचक हो गया है। आजम खान को जेल पहुंचाने में आकाश सक्सेना की बड़ी भूमिका रही है। आजम खान के खिलाफ बसपा ने सदाकत हुसैन और कांग्रेस ने काजिम अली खान को उम्मीदवार बनाया है।
अयोध्या
यूपी चुनाव में सबकी नजर अयोध्या सीट पर है। एक समय तो यहां से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुनाव लड़ने की चर्चा जोरों पर थी। हालांकि, बाद में भाजपा ने यहां फिर से वेद प्रकाश गुप्ता को मैदान में उतारा है। सपा गठबंधन ने पूर्व मंत्री तेज नारायण उर्फ पवन पांडेय पर भरोसा जताया है। वहीं बसपा ने रवि मौर्या और कांग्रेस ने रीता मौर्या को टिकट दिया है।
सिराथू
कौशांबी जिले की सिराथू सीट से प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य मैदान में हैं। जबकि समाजवादी पार्टी ने कैबिनेट मंत्री अनुप्रिया पटेल की बहन और अपना दल (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल को टिकट दिया है। वहीं, बहुजन समाज पार्टी ने मुनसब अली और कांग्रेस ने सीमा देवी को उम्मीदवार बनाया है। बहुजन समाज पार्टी ने मुस्लिम चेहरे के तौर पर मुनसब अली और कांग्रेस ने सीमा देवी को अपना प्रत्याशी बनाया है।
कुंडा
यहां से बाहुबली नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया फिर से मैदान में हैं। वह 1993 से लगातार यहां से जीत हासिल करते आए हैं। पिछले बार वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत कर आए थे। इस बार वह जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) पार्टी से उम्मीदवार है। सपा गठबंधन ने कभी राजा भैया के खास रहे गुलशन यादव को उम्मीदवार बनाया गया है। जबकि भाजपा ने सिंधुजा मिश्रा और बसपा ने मोहम्मद फहीम को टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने योगेश कुमार को मैदान में उतार है।
अमेठी
कांग्रेस परिवार का गढ़ रही और स्थानीय रियासत के प्रभाव में रही अमेठी सीट हमेशा से चर्चा में रही है। इस बार यहां से भाजपा ने अमेठी रियासत के डॉ. संजय सिंह को उम्मीदवार बनाया है। संजय सिंह करीब 33 साल बाद चुनाव लड़ रहे हैं। वह राजीव गांधी के बेहद करीबी रह चुके हैं। समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की पत्नी महराजी प्रजापति को मैदान में उतारा है। जबकि बसपा ने रागिनी तिवारी और कांग्रेस ने आशीष शुक्ला को टिकट दिया है।
इलाहाबाद पश्चिम
योगी सरकार में मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह इलाहाबाद पश्चिम सीट उम्मीदवार हैं। उनके खिलाफ समाजवादी पार्टी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय की छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुकी ऋचा सिंह को मैदान में उतारा है। जबकि बसपा ने गुलाम कादिर और कांग्रेस ने तसलीमउद्दीन को मैदार में उतारा है। 2017 में यहां से भाजपा के सिद्धार्थ नाथ सिंह चुनाव जीते थे।
तमकुही राज
कुशीनगर की तमकुही राज सीट से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू चुनावी मैदान में हैं। भारतीय जनता पार्टी ने उनके खिलाफ असीम कुमार, सपा ने उदय नारायण और बसपा ने संजय को मैदान में उतारा है। पिछली बार इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर अजय कुमार लल्लू ने जीत दर्ज की थी। हालांकि कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए आरपीएन सिंह के प्रचार से अजय कुमाल लल्लू के लिए लड़ाई आसान नहीं रह गई है।
पथरदेवा
योगी सरकार में मंत्री और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही देवरिया ने पथरदेवा सीट से चुनाव लड़ा है। उनके खिलाफ समाजवादी पार्टी ने ब्रह्माशंकर त्रिपाठी, बसपा ने परवेज आलम और कांग्रेस ने अंबर जहां को टिकट दिया है। पिछली बार भी सूर्य प्रताप शाही ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी।
जसवंतनगर
इटावा की जसवंतनगर सीट से मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल सिंह यादव चुनावी मैदान में हैं। वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि उनकी अलग प्रगतिशील समाजवादी पार्टी है। भाजपा ने विवेक शाक्य को तो बसपा ने बृजेंद्र प्रताप सिंह को मैदान में उतारा है। इस सीट पर 1980 से ही इस मुलायम सिंह यादव परिवार का कब्जा रहा है।
कटेहरी सीट
अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट भी खास है। यहां से बसपा छोड़ सपा में शामिल हुए लालजी वर्मा चुनावी मैदान में हैं। लालजी वर्मा के खिलाफ बसपा के प्रतीक पांडेय और निषाद पार्टी के अवधेश कुमार मैदान में हैं। निषाद पार्टी भाजपा के गठबंधन में शामिल है। जबकि कांग्रेस ने निशात फातिमा को उम्मीदवार बनाया है। पिछली बार इस सीट से बसपा ने जीत दर्ज हासिल की थी। लालजी वर्मा 5 बार से विधायक हैं। और काशीराम के समय से बसपा से जुड़े थे। लेकिन फिर चुनाव के पहले वह सपा में शामिल हो गए ।
शिवपुर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस की शिवपुर सीट पर काफी रोचक मुकाबला है। यहां पर योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर का मुकाबला सुभासपा के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर से हैं। जबकि बसपा ने रवि मौर्य और कांग्रेस ने गिरीश पांडेय को मैदान में उतारा है।
मऊ
बाहुबली मुख्तार अंसारी के क्षेत्र मऊ से उनके बेटे अब्बास अंसारी मैदान में हैं । अब्बास सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। जिसका समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन है। अब्बास के खिलाफ भाजपा के अशोक कुमार सिंह मैदान में है। और बसपा ने भीम राजभर को प्रत्याशी बनाया है। जबकि कांग्रेस से माध्वेंद्र बहादुर सिंह को मैदान में उतारा है।
फूलपुर पवई
आजमगढ़ के फूलपुर पवई सीट से समाजवादी पार्टी ने पूर्व सांसद और बाहुबली नेता रमाकांत यादव को मैदान में उतारा है। 2017 में इस सीट से भाजपा के अरुणकांत यादव ने जीत हासिल की थी। अरुणकांत रमाकांत यादव के बेटे हैं। भाजपा ने रामसूरत राजभर को मैदान में उतारा है। वहीं बसपा ने पूर्व सपा नेता शकील अहमद को मैदान में उतार दिया। जबकि कांग्रेस नेशाहिद शादाब को प्रत्याशी बनाया है । रमाकांत यादव का गढ़ माने जाने वाली फूलपुर पवई सीट पर से अपने बेटे को जिताने का दबाव है।
घोसी
योगी कैबिनेट में मंत्री रह चुके दारा सिंह चौहान ने चुनाव के ऐन वक्त पहले स्वामी प्रसाद मौर्य की तरह समाजवादी पार्टी का दामन थामन लिया है। उनके खिलाफ भाजपा ने विजय राजभर, बसपा ने वसीम इकबाल और कांग्रेस ने प्रियंका यादव को उम्मीदवार मैदान में उतारा है।
मल्हनी
जौनपुर की मल्हनी विधानसभा सीट इस बार बाहुबली धनंजय सिंह की उम्मीदवारी से चर्चा में है। वह जद (यू) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनके खिलाफ भाजपा ने कृष्ण प्रताप सिंह और सपा ने लकी यादव को मैदान में उतारा है। जबकि बसपा ने शैलेंद्र यादव और कांग्रेस ने पुष्पा शुक्ला को टिकट दिया है।
कन्नौज
भाजपा ने यहां से कानपुर के पुलिस कमिश्नर रहे असीम अरुण को टिकट दिया है। असीम को मैदान में उतारकर भाजपा ने दलित दांव चला है। वहीं समाजवादी पार्टी ने यहां से अनिल कुमार को मैदान में उतारा है।
महाराजपुर
कानपुर नगर जिले की महाराजपुर विधानसभा सीट से भाजपा ने योगी सरकार में मंत्री सतीश महाना पर फिर से भरोसा किया है। महाना पिछले 35 वर्षों से भाजपा के विधायक हैं। उनके खिलाफ समाजवादी पार्टी ने युवा उम्मीदवार फतेह बहादुर सिंह को टिकट दिया है। जबकि बसपा से सुरेंद्र पाल सिंह और कांग्रेस से कनिष्क पांडे मैदान में हैं।
सिरसागंज
फिरोजाबाद जिले की सिरसागंज विधानसभा सीट से मुलायम सिंह के समधी हरिओम यादव मैदान में हैं। हरिओम को सपा के सर्वेश सपा से चुनौती मिली है। खास बात यह है कि सपा ने सर्वेश को उतारकर हरिओम के पैंतरे का जवाब देने की कोशिश की है। हरिओम यादव को सर्वेश का राजनीतिक गुरू माना जाता है। ऐसे में गुरू-चेले की यह लड़ाई बेहद दिलचस्प है। बसपा ने यहां पंकज मिश्रा तो कांग्रेस ने प्रतिमा पाल को मैदान में उतारा है।
कैराना
शामली जिले में आने वाली कैराना विधानसभा सीट उत्तर प्रदेश की राजनीति का बेहद अहम केंद्र रही है। भाजपा इस इलाके से हिंदुओं को पलायन का बड़ा मुद्दा बनाती रही है। 2017 में प्रदेश में भारी बहुमत से जीतने वाला भाजपा यहां पर जीत हासिल नहीं कर पाई थी। भाजपा ने जहां पार्टी के वरिष्ठ नेता रह चुके हुकूम सिंह की बेटी मृगांका सिंह में हैं, वहीं समाजवादी पार्टी ने मौजूदा विधायक नाहिद हसन फिर से मैदान में उतारा है। बसपा ने यहां से राजेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है। जबकि कांग्रेस से अखलाक को टिकट दिया गया है।
मथुरा
इस सीट पर 2002 से 2017 तक कांग्रेस का कब्जा रहा है। हालांकि 2017 के चुनाव में श्रीकांत शर्मा ने यह सीट जीतकर भाजपा की झोली में डाल दी थी। मंत्री के रूप में इस बार उनके सामने सीट बचाने की चुनौती है। कांग्रेस ने फिर से प्रदीप माथुर को टिकट दिया है। जबकि बसपा ने जगजीत चौधरी और सपा-आरएलडी गठबंधन ने पूर्व विधायक देवेंद्र अग्रवाल को मैदान में उतारा है।
मुजफ्फरनगर
किसान आंदोलन की वजह से मुजफ्फरनगर सीट पर इस बार सबकी नजर है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का यह गृह जिला है। पिछली बार यह सीट भाजपा के खाते में थी लेकिन किसान आंदोलन के बाद पार्टी क्या अपनी सीट बचा पाएगी? इस बार भाजपा ने विधायक कपिल देव अग्रवाल पर फिर से भरोसा दिखाया है। जबकि सपा-रालोद गठबंधन ने सौरभ स्वरूप को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस से पंडित सुबोध और बसपा से पुष्कर पाल यहां से चुनावी मैदान में हैं।
जेवर
चुनावों से पहले जिस तरह से इंटरेशनल एयरपोर्ट के शिलान्यास के भाजपा ने वोटरों को लुभाने की कोशिश की है। उससे यह सीट चर्चा में हैं। अवतार सिंह भड़ाना द्वारा भाजपा को छोड़ सपा-आरएलडी गठबंधन हाथ थामने से भी मुकाबला रोचक है। यहां उनका भाजपा विधायक धीरेंद्र सिंह से मुकाबला है। इस सीट पर बसपा से नरेंद्र भाटी और कांग्रेस ने मनोज चौधरी को मैदान में उतारा है।
आगरा ग्रामीण
भाजपा ने इस बार दलित चेहरे के रूप में पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को मैदान में उतारा है। भाजपा की पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उन्हें, मायावती का विकल्प बनाने की कोशिश है। जिससे वह दलित वोट को साध सके। ऐसे में उनके ऊपर न केवल अपनी जीत का दबाव है बल्कि दूसरे क्षेत्रों में भी भाजपा को जिताने का भी दबाव है। सपा गठबंधन से महेश कुमार यादव को टिकट दिया गया है। वहीं कांग्रेस से उपेंद्र सिंह और बसपा से किरण प्रभा चुनावी मैदान में हैं।
स्वार
सपा नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम खान रामपुर की स्वार सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। अब्दुल्ला आजम भी आजम खान के साथ जेल में बंद थे। अभी हाल ही में उन्हें कोर्ट से उन्हें जमानत मिली है। अब्दुल्ला के खिलाफ एनडीए के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) ने हैदर अली खान को मैदान में उतारा है। हैदर अली इन चुनावों में एनडीए के तरफ से एकमात्र मुस्लिम उम्मीदवार है। अब्दुल्ला के खिलाफ बसपा ने शंकर लाल सैनी और कांग्रेस ने राम रक्षपाल सिंह को उम्मीदवार बनाया है।
नकुड़
सहारनपुर जिले की नकुड़ विधासनभा सीट भी, भाजपा से सपा में आए धर्म सिंह सैनी की वजह से हाई प्रोफाइल हो गई है। सैनी योगी सरकार में मंत्री थे और उनकी वजह से अखिलेश यादव ने कांग्रेस छोड़ सपा में आए इमरान मसूद की भी नाराजगी मोल ले थी। हालांकि बाद में मसूद मान गए और सपा में ही बने हुए हैं। धर्म सिंह सैनी चार बार विधायक रह चुके हैं। सैनी के खिलाफ भाजपा ने मुकेश चौधरी को मैदान में उतारा है। जबकि बसपा से साहिल खान और कांग्रेस से रणधीर सिंह चौहान यहां से प्रत्याशी हैं।
शाहजहांपुर
योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना एक बार फिर शाहजहांपुर विधानसभा सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। सुरेश खन्ना 1989 से इस सीट पर लगातार जीतते हैं। वह कई बार मंत्री भी रह चुके हैं। वह पिछले 8 बार से लगातार चुनाव जीत रहे हैं। खन्ना के खिलाफ सपा ने तनवीर खान, बसपा ने सर्वेश चंद्र धांधू और कांग्रेस ने पूनम पांडे को उम्मीदवार बनाया है।
चंदौली
संभल के चंदौसी सीट से बीजेपी ने योगी सरकार में राज्यमंत्री गुलाबो देवी पर फिर से भरोसा जताया है। पिछली बार भी गुलाबो देवी ने इसी सीट से जीत हासिल की थी। सपा ने उनके खिलाफ विमलेश कुमारी को मैदान में उतारा है। वहीं बसपा से रणविजय सिंह और कांग्रेस से मिथिलेश कुमारी मैदान में हैं।
निघासन
लखीमपुर खीरी की यह सीट 3 अक्टूबर को तिकुनियां गांव में हुए हादसे की वजह से चर्चा में हैं। गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा के ऊपर आरोप है कि उन्होंने जानबूझ कर प्रदर्शन कर रहे किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी थी। जिसके बाद हुई हिंसा में 4 किसान सहित 8 लोगों की मौत हो गई थी। ऐसे में इस सीट पर सबकी नजर है। लखीमपुर खीरी से अजय मिश्र सांसद हैं। और 2012 में वह निघासन से ही भाजपा के विधायक रह चुके हैं। 2017 में भी यह सीट भाजपा के पास थी। इस बार भाजपा ने शशांक वर्मा को उम्मीदवार बनाया है। जबकि उन्हें सपा के आरएस कुशवाहा, बसपा के मनमोहन मौर्य और कांग्रेस के अटल शुक्ला टक्कर दे रहे हैं। शशांक वर्मा पूर्व विधायक रामकुमार वर्मा के बेटे हैं।
रायबरेली सदर
कांग्रेस के गढ़ रायबरेली से भाजपा ने पूर्व कांग्रेस नेता अदिति सिंह को मैदान में उतारा है। अदिति सिंह प्रियंका गांधी को रायबरेली से लड़ने की चुनौती दे चुकी हैं। उनका दावा है कि अब रायबरेली कांग्रेस का गढ़ नहीं है। अदिति सिंह को समाजवादी पार्टी के आरपी यादव , कांग्रेस के मनीष सिंह चौहान और बसपा के मोहम्मद अशरफ टक्कर दे रहे हैं।
सरोजनी नगर सीट
लखनऊ की सरोजनी नगर सीट इस बार कई वजहों से चर्चा में रही है। पहले निवर्तमान विधायक और योगी सरकार में मंत्री स्वाती सिंह और उनके पति दयाशंकर सिंह के दावेदारी से यह सीट चर्चा में रही। उसके बाद भाजपा ने स्वाती सिंह का टिकट काटकर ईडी के पूर्व अधिकारी राजेश्वर सिंह को टिकट देकर सरगर्मियां बढ़ा दी। इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा को मैदान में उतार कर लड़ाई को ब्राह्मण बनाम ठाकुर कर दिया है। कांग्रेस ने रुद्र दमन सिंह तो बसपा ने जलीस खान को मैदान में उतारा है।
लखनऊ पूर्व
भाजपा की परंपरागत सीट पर एक बार फिर आशुतोष टंडन मैदान में हैं। उनके सामने समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता अनुराग भदौरिया मैदान में हैं। भाजपा यहां 1991 से लगातार जीत दर्ज करती आ रही है। कांग्रेस ने छात्र नेता रहे मनोज तिवारी और बीएसपी ने आशीष सिन्हा को मैदान में उतारा है।
लखनऊ कैंट
लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट से योगी सरकार के कानून मंत्री बृजेश पाठक मैदान में हैं। बृजेश ने पिछली बार लखनऊ मध्य से चुनाव जीता था लेकिन इस बार उनकी सीट बदल गई है। उनके खिलाफ समाजवादी पार्टी ने सुरेंद्र सिंह गांधी, बसपा ने अनिल पांडेय और कांग्रेस ने दिलप्रीत सिंह को मैदान में उतारा है। 2017 में इस सीट पर भाजपा की डॉ. रीता बहुगुणा जोशी जीती थी। जो बाद में 2019 लोकसभा सांसद बन गई। इस बार वह अपने बेटे को भाजपा से टिकट दिलाना चाह रही थी और इसके लिए राजनीति से संन्यास तक लेने की बात कही थी। लेकिन पार्टी ने उनके बेटे को टिकट नहीं दिया। अब उनके बेटे मयंक जोशी सपा में शामिल हो गए हैं।