बेरोजगारी पर वरुण गांधी का सरकार से सवाल ! क्या विपक्ष की बोल रहे हैं भाषा

इलेक्शन
ललित राय
Updated Feb 22, 2022 | 12:29 IST

सियासत में बयानों से अधिक उनके समय का महत्व होता है। यूपी में चौथे चरण में पीलीभीत और लखीमपुर खीरी में 23 फरवरी को मतदान होना है और उससे ठीक पहले बेरोजगारी के मुद्दे पर पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी अपनी ही सरकार को बेरोजगारी के मुद्दे पर आईना दिखा रहे हैं।

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बेरोजगारी पर वरुण गांधी का सरकार से सवाल,! क्या विपक्ष की बोल रहे हैं भाषा 
मुख्य बातें
  • बेरोजगारी के मुद्दे पर एक बार फिर पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी बरसे
  • पूंजीवादी व्यवस्था कल्याणकारी राज की सोच नहीं हो सकती
  • चौथे चरण में पीलीभीत में होना है विधानसभा चुनाव

वरुण गांधी, वैसे ती पीलीभीत से बीजेपी के सांसद हैं। लेकिन वो अपनी ही सरकार पर हमलावर रहते हैं। किसान आंदोलन के दौरान जब लखीमपुर खीरी में हिंसा हुई तो उन्होंने अपनी ही सरकार की घेरेबंदी की और अब एक बार फिर चौथे चरण के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने एक बार फिर बेरोजगारी के मुद्दे पर अपनी सरकार की नीतियों पर तंज कसा है। पहले बताते हैं कि उन्होंने क्या ट्वीट किया है। 

वरुण गांधी का ट्वीट
केवल बैंक और रेलवे का निजीकरण ही 5 लाख कर्मचारियों को ‘जबरन सेवानिवृत्त’ यानि बेरोजगार कर देगा। समाप्त होती हर नौकरी के साथ ही समाप्त हो जाती है लाखों परिवारों की उम्मीदें। सामाजिक स्तर पर आर्थिक असमानता पैदा कर एक ‘लोक कल्याणकारी सरकार’ पूंजीवाद को बढ़ावा कभी नहीं दे सकती।

क्या कहते हैं जानकार
अब सवाल यह है कि वरुण गांधी इस तरह का बयान क्यों दे रहे हैं। क्या वो मतदान से पहले इस तरह का बयान देकर अपनी ही पार्टी का नुकसान कर रहे हैं। क्या वो विपक्ष की भाषा बोल रहे हैं। इन सवालों का जवाब पाने के लिए जानकार क्या कहते हैं उसे समझना जरूरी है। जानकारों का कहना है कि अगर आप देखें तो जिस तरह से वरुण गांधी अपनी सरकार से सवाल करते हैं उसके समय को देखिए। सवाल पूछना और अपनी सरकार से सवाल करना भी लोकतंत्र का हिस्सा होता है। लेकिन जब सवाल पूछे जाने का संबंध सिसायी नफा नुकसान की टाइमिंग से जुड़ा हो तो कोई भी शख्स सवालों के घेरे में होता है। 

वरुण गांधी अपनी ही पार्टी में उपेक्षित हैं लिहाज सरकार के खिलाफ बयान उनकी हताशा हो सकती है, क्योंकि सामान्य तौर पर यह संदेश जाता है कि कहीं न कहीं आप बीजेपी में बने रहकर अपनी पार्टी और सरकार के खिलाफ आवाज उठाते हैं तो वो समाज, राज्य या देश के भले की बात नहीं करते हैं बल्कि आप अपनी निराशा जाहिर कर रहे हैं। जाहिर तौर पर सत्ता पक्ष से जुड़ा कोई भी सदस्य विपक्ष की भाषा बोलने लगता है कि तो विपक्षी दल उसमें खुद के लिए फायदे की तलाश करते हैं। 

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