उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की रणभेरी बज चुकी है। भारतीय निर्वाचन आयोग ने चुनाव कार्यक्रम जारी कर दिया है। 403 विधानसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश को देश का सबसे अधिक राजनैतिक महत्व वाला राज्य माना जाता है, यही वजह है कि हर पार्टी यहां अपनी मजबूत जमीन बनाए रखना चाहती है। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 312 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत वाली सरकार बनाई थी और गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने थे। बीजेपी ने पूरे उत्तर प्रदेश को छह संगठनात्मक क्षेत्रों में विभाजित किया है जिनमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश, ब्रज, अवध, काशी, बुंदेलखंड व गोरखपुर क्षेत्र शामिल हैं। हर क्षेत्र के अपने सामाजिक और राजनीतिक समीकरण हैं और पार्टी इन को ध्यान में रखकर ही सारी तैयारी बीजेपी कर रही है।
खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश इस बार भाजपा के लिए अधिक मायने रखता है क्योंकि किसान आंदोलन का सर्वाधिक प्रभाव इसी क्षेत्र में है। पश्चिमी यूपी में 14 जिले हैं, जिनमें 71 विधानसभा सीटें पड़ती है। 2017 के चुनाव में वेस्ट यूपी में भाजपा का परचम लहराया था। यहां की 71 सीटों में से 52 बीजेपी ने जीती थीं और तभी बीजेपी की संख्या 313 तक पहुंच पाई थी। इस चुनाव में भी इस संख्या को बरकरार रखना एक बड़ी चुनौती है क्योंकि जाट मतदाता इस क्षेत्र में काफी प्रभाव रखते हैं। जाट मतदाताओं की नाराजगी की वजह किसान आंदोलन माना जा रहा है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून को वापस लेने का ऐलान किया था जिससे दिल्ली के बॉर्डर पर जमे किसान आंदोलन खत्म कर अपने घरों को तो लौटे लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे पर किसानों ने जिस तरह उनका रास्ता रोका उससे लग रहा है कि एक वर्ग है जो तीनों कृषि कानून वापस होने के बाद भी बीजेपी के पक्ष में आने को तैयार नहीं है।
UP Election 2022 Constituencies List: यहां देखें-यूपी विस की सीटों की पूरी सूची, पिछले चुनाव में विजेताओं के नाम
इस क्षेत्र से राष्ट्रीय लोकदल के अकेले विधायक सहेंद्र रमाला जीते थे जोकि बाद में बीजेपी में शामिल हो गए थे। इस तरह यहां बीजेपी के 52 विधायक हैं जबकि समाजवादी पार्टी के 16, कांग्रेस के दो और बीएसपी का एक विधायक है। इस बार आरएलडी और सपा का यूपी में गठबंधन है। ऐसे में नए समीकरण बनेंगे इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। भारतीय किसान यूनियन सहित कई किसान संगठनों ने खुला ऐलान किया है कि वे भाजपा के विरोध में प्रचार करेंगे, मतलब साफ है कि किसी दूसरी पार्टी की तरफ मतदाता को ले जाने का प्रयास करेंगे। पश्चिम की 25 विधानसभा सीटों पर जाट और मुस्लिम मतदाताओं का मतदान निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इस इलाके में जाट 7% और मुसलमान 29% होने का अनुमान है। समीकरण और जानकार कह रहे हैं कि ये दोनों मतदाता इस बार साथ आएंगे लेकिन अहम सवाल ये है कि 2013 में हुए जाट-मुस्लिम दंगों में इन दोनों समुदायों के बीच एक गहरी खाई पैदा हो गई थी। क्या बीजेपी को हराने के लिए जाट-मुस्लिम इस खाई को भरकर एक रास्ते चलेंगे? वहीं गैर-जाट ओबीसी जातियां जैसे कि गुर्जर- 4%,सैनी -4%,कश्यप- 3%, पाल-2% और बाकी बीजेपी की तरफ हैं।
पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन की हवा कमजोर करने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ पहले ही गन्ने का समर्थन मूल्य पहले ही बढ़ा चुके हैं, वहीं फसलों के नुकसान पर 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट तैयार कर मुआवजा दिलाने की प्रक्रिया से भी किसानों को काफी राहत मिली थी। सर्वाधिक गन्ना भुगतान करके भी योगी सरकार ने एक कीर्तिमान बनाया है। सरकार का दावा है कि 50 सालों में पहली बार किसानों को 2017 से वर्ष 2021 तक 1 लाख 44 हज़ार करोड़ रुपए का गन्ने का भुगतान किया गया है। प्रदेश सरकार की नीतियों के चलते 2016-17 में प्रदेश में जो गन्ने का उत्पादन 66 टन प्रति हेक्टेयर हुआ करता था, वह अब बढ़कर 2021-22 में 81.5 टन प्रति हेक्टेयर हो गया है।
UP Election 2022 Dates, Schedule: सात चरणों में सभी 403 सीटों पर चुनाव, जानें- आपके जिले में कब है मतदान
कोरोना काल में किसानों को निशुल्क अनाज मिल रहा है। वहीं पश्विम क्षेत्र की मजबूत किलेबंदी के लिए योगी आदित्यनाथ ने पश्चिम यूपी के जिलों का दौरा बढ़ा दिया था। इसके साथ ही गन्ना का समर्थन मूल्य 340 रुपये किया। वेस्ट यूपी में किसान आंदोलन के बाद से बीजेपी के वोटर खिसकने की बात कही गई लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2017 से पहले हुए पलायन और उसके बाद हुईं घर वापसी को अपने अभियान 'फर्क साफ है' के माध्यम से बदली तस्वीर दिखाने की कोशिश की है। योगी आदित्यनाथ ने पलायन के बाद घर वापसी करने वाले परिवारों से कैराना में मुलाकात की और वहां से इस बात का दावा किया कि अब किसी परिवार को कैराना से पलायन नहीं करना होगा। उनकी सरकार पूर्ण सुरक्षा देगी। योगी आदित्यनाथ ने पलायन कर चुके परिवारों की घर वापसी कराकर बड़ा दांव चला है, जो हिंदुओं को एकजुट करने के तौर पर देखा जा रहा है।
इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वेस्ट यूपी में ताबड़तोड़ दौरे किए। नोएडा से लेकर रामपुर, सहारनपुर, देबवंद तक योगी आदित्यनाथ पहुंचे और हर जिले को करोड़ों रुपये की सौगात दीं। मेरठ में मेजर ध्यानचंद खेल विश्वविद्यालय, गंगा एक्सप्रेस वे, नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, गाजियाबाद में कैलाश मानसरोवर भवन, दिल्ली मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (रैपिड रेल) निर्माण जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स से जहां बीजेपी विकास के पैमाने पर खुद को सबसे आगे दिखा रही है, वहीं दंगा प्रभावित पश्चिम के जिलों में कानून व्यवस्था को मुद्दा बनाएगी। योगी ने कई परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करते हुए वेस्ट यूपी में खिसक रही जमीन को वापस लाने के लिए बड़ा दांव चला है। बीजेपी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। यही वजह है कि हर क्षेत्र के अंदर आने वाली हर विधानसभा क्षेत्र का व्यापक डेटा एकत्र किया जा रहा है और उसके विश्लेषण और विपक्षी दलों की रणनीति को ध्यान में रखते हुए भावी उम्मीदवार तय किए जाएंगे। जातिगत समीकरण से लेकर वर्तमान विधायक को लेकर क्या माहौल है इसका अध्ययन किया जा रहा है। हर विधानसभा में गैरभाजपाई सामान्य नागरिकों, पत्रकारों और विभिन्न अलग अलग क्षेत्र के सम्मानित लोगों से फीडबैक लिया जा रहा है।
यूपी चुनाव में BJP ने उतारी संगठन मंत्रियों की फौज, राजस्थान के संगठन महामंत्री चंद्रशेखर को वेस्ट यूपी की कमान
एक ओर भगवा पार्टी चुनाव प्रचार, संपर्क, और अभियान के जरिए वह लोगों तक पहुंच रही है। तो दूसरी तरफ संगठन की मजबूती और बूथ प्रबंधन का कामकाज बेहतर करने एवं तालमेल बिठाने के लिए उसने सगंठन मंत्रियों की अपनी एक पूरी फौज उतार दी है। भाजपा ने राजस्थान के संगठन महामंत्री चंद्रशेखर को पश्चिमी यूपी की कमान सौंपी है। चंद्रशेखर काशी क्षेत्र और उसके बाद पश्चिमी यूपी के संगठन मंत्री रहे हैं और इस क्षेत्र को भलीभांति जानते हैं। वह ना केवल यहां के परिसीमन, बल्कि कार्यकर्ताओं से भी वाकिफ हैं। उन्हीं के नेतृत्व में बीजेपी ने 2017 के चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में परचम लहाराया था। चंद्रशेखर को कुशल संगठक और सामंजस्य बनाने वाले संगठन मंत्री के रूप में जाना जाता है। चंद्रशेखर ने पश्चिम क्षेत्र में आकर मोर्चा संभाल लिया है और विधानसभावार बैठकें प्रारंभ कर दी हैं।