योगी के साथ ये रहे UP BJP की जीत के हीरो, 'चाणक्य' सुनील बंसल की रणनीति का चला जादू

उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी दल यानि भारतीय जनता पार्टी की स्पष्ट और प्रचंड बहुमत के साथ वापसी हुई है। भाजपा की प्रचंड जीत के हीरो की तो पर्दे पर असली हीरो तो स्वयं मुख्यमंत्री योगी ही रहे लेकिन पर्दे के पीछे भी भाजपा की इस प्रचंड जीत के कई हीरो रहे।

Real Hero of BJP Victory in Uttar Pradesh
Real Hero of BJP Victory in Uttar Pradesh 

Real Hero of BJP Victory in Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के नतीजे घोषित हो रहे हैं। यह बात साफ हो चुकी है कि उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी दल यानि भारतीय जनता पार्टी की स्पष्ट और प्रचंड बहुमत के साथ वापसी हुई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर सदर सीट से एक लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज की है। पश्चिम से लेकर पूरब तक भगवा लहर चल गई है। भाजपा 2017 का इतिहास भले ही ना दोहरा पाई हो लेकिन वह बहुमत के काफी अधिक सीटों के साथ वापस आई है। मिशन 2022 भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण था क्योंकि यह 2024 में होने वाले आम लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल है। 

इसलिए जुटी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विधानसभा चुनाव में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। यूपी चुनाव में भाजपा के विरोधियों ने तमाम नैरेटिव सेट किए। कहा गया कि पश्चिम में भाजपा से किसान और जाट नाराज हैं लेकिन नतीजों को देखकर ऐसा नहीं लगता है कि भाजपा से मतदाता की कोई नाराजगी थी। वोट प्रतिशत भी 2017 से 2022 में बढ़ा है। मैन्युफैक्चर्ड मुद्दों पर इलेक्शन में रिजल्ट नहीं आता है और ये बात विपक्ष को समझ आ गई होगी। 

अब बात करते हैं यूपी में भाजपा की प्रचंड जीत के हीरो की तो पर्दे पर भाजपा के असली हीरो तो स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही रहे। वह यूपी में बीजेपी के सबसे बडे कैंपेनर रहे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 37 साल बाद भारतीय जनता पार्टी को यूपी की सत्ता पर लगातार दूसरी बार काबिज करने का इतिहास बना दिया है। 37 साल पहले कांग्रेस ने बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की थी। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्धारित पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करते हुए फिर से भाजपा की सत्ता में वापसी कराते हुए पार्टी को ऐतिहासिक तोहफा दिया है। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यूपी में भाजपा के ऐसे पहले नेता हो गए हैं जो लगातार दूसरी बार सीएम बनेंगे।  
 
पर्दे के पीछे भी भाजपा की इस प्रचंड जीत के कई हीरो रहे। ये हीरो संगठन की मजबूती और बूथ प्रबंधन का कामकाज बेहतर करने एवं तालमेल बिठाने में लगे रहे। यही वे लोग थे जो पन्ना प्रमुखों, विस्तारकों, शक्ति केंद्र प्रभारियों, सोशल मीडिया वॉलंटियर्स में जोश भरते रहे। इस काम के लिए बीजेपी ने सगंठन मंत्रियों की पूरी फौज उतार दी थी। 

स्वतंत्र देव सिंह (Swatantra Dev Singh)

बीजेपी की जीत में यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह का अहम योगदान है। 2017 में जब योगी सरकार बनी थी तो उन्हें परिवहन मंत्री बनाया गया था। जमीन से जुडे कार्यकर्ता के रूप में पहचाने वाले स्वतंत्र देव सिंह को 2019 में पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया तो उन्होंने परिवहन मंत्री पद से इस्तीफा दिया। पार्टी ने स्वतंत्र देव सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर दूर का निशाना साधा था। स्वतंत्र देव सिंह का जन्म 13 फरवरी 1964 को मिर्जापुर में हुआ है। छात्र जीवन से ही वो राजनीति में सक्रिय हो गए थे। स्वतंत्र देव सिंह की गिनती भाजपा के अनुभवी नेताओं में की जाती है। वह ओबीसी समाज से आते हैं जोकि भाजपा का मजबूत वोट बैंक है। इस चुनाव में उन्होंने एक तरफ संगठन का तंत्र मजबूत किया तो दूसरी तरफ प्रचार में पूरी ताकत छोंक दी। उन्होंने एक सामान्य कार्यकर्ता की तरह घर घर जाकर पर्चे तक बांटे।  

UP BJP के 'चाणक्‍य' सुनील बंसल (Sunil Bansal)

2017 के बाद 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने बहुमत की सरकार बनाकर इतिहास रच दिया है। यह इतिहास कोई कर‍िश्‍मा या चमत्‍कार होने की वजह से नहीं रचा गया बल्कि सोची समझी नीति के धरातल पर उतरने की वजह से संभव हो पाया। यह सोची समझी रणनीति थी यूपी बीजेपी के चाणक्‍य कहे जाने वाले प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल की। नरेंद्र मोदी और अमित शाह के खास माने जाने वाले सुनील बंसल आज (20 सितंबर) को 52 साल के हो गए हैं। वर्ष 2014 में जब अमित शाह को यूपी का प्रभारी बनाया गया था तो उन्होंने यूपी में बूथ मैनेजमेंट का जिम्मा सुनील बंसल को सौंपा था। सुनील बंसल ने अपने नेतृत्‍व कौशल और संगठन शिल्‍पी होने का परिचय दिया और यूपी में भाजपा 80 में से 73 सीटें जीतने में कामयाब रही। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री रहे सुनील बंसल ने 2014 के लोकसभा चुनावों में जीत के बाद ही उत्‍तर प्रदेश में सरकार बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया था। 

20 सितंबर 1969 को राजस्थान में जन्में सुनील बंसल बेहद सामान्य पृष्ठभूमि से आते हैं। अपने छात्र जीवन में इन्होने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़कर राजनीति का ककहरा सीखा। 1989 में राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव में एबीवीपी ने कई धुरंधरों को पीछे कर युवा सुनील बंसल को उतारा। बेहद कड़े मुकाबले में बंसल ने एबीवीपी को जीत दिलाई और राष्ट्रीय महासचिव चुने गए। इसके बाद सुनील बंसल ने मुड़कर नहीं देखा। सुनील बंसल ने यूपी में जातीय समीकरणों को नजदीक से समझा और बूथ लेवल तक दलित, ओबीसी और महिलाओं को सीधे पार्टी की गतिविधि से जोड़ा। पूरे प्रदेश में सुनील बंसल ने विस्‍तारक नियुक्‍त किए और उनको बाकायदा प्रशिक्षण दिया। इन विस्‍तारकों का कार्य लोगों के बीच जाकर संगठन का विस्‍तार और प्रचार-प्रसार करना और नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों को समझाना था। उनकी इसी रणनीति के चलते यूपी में बीजेपी की 2 करोड़ से ज्यादा सदस्यता हुई। 

चंद्रशेखर ने संभाला मोर्चा (Chandrashekhar)

भाजपा ने राजस्‍थान के संगठन महामंत्री चंद्रशेखर को यूपी चुनाव में लगाया। चंद्रशेखर काशी क्षेत्र और उसके बाद पश्चिमी यूपी के संगठन मंत्री रहे हैं और इस क्षेत्र को भलीभांति जानते हैं। वह ना केवल यहां के परिसीमन, बल्कि कार्यकर्ताओं से भी वाकिफ हैं। उन्‍हीं के नेतृत्‍व में बीजेपी ने 2017 के चुनाव में पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में परचम लहाराया था। चंद्रशेखर को कुशल संगठक और सामंजस्‍य बनाने वाले संगठन मंत्री के रूप में जाना जाता है।

उन्‍होंने जयपुर से मेरठ पहुंचकर टिकट वितरण से पहले ही मोर्चा संभाल लिया था और विधानसभावार बैठकें प्रारंभ कीं। वह अपने साथ राजस्थान से प्रवासी कार्यकताओं को लाए। टिकट वितरण में उनकी अहम भूमिका रही और सही प्रत्याशी चयन के लिए बैठकें कीं। चंद्रशेखर बुंदेलखंड के बांदा के रहने वाले हैं और झांसी के आरएसएस के विभाग प्रचारक रहे हैं। युवाओं के बीच प्रभाव रखने वाले चंद्रशेखर को कुशल संगठक माना जाता है। उन्होंने पूरे उत्तर प्रदेश को नापकर विधानसभा संचालन समिति की बैठकें कर संगठन मजबूत किया।  

इन लोगों ने किया संगठन मजबूत

गुजरात के संगठन मंत्री रत्नाकर को काशी क्षेत्र में लगाया गया है। झारखंड के संगठन मंत्री धर्मपाल को काशी क्षेत्र में लगाया गया है। मध्य प्रदेश के सह संगठन मंत्री हितानंद को अवध क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई है। मध्य प्रदेश के संगठन मंत्री रहे अरविंद मेनन को पहले ही गोरक्ष क्षेत्र में लगाया।

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