UP Election Result 2022 BSP Seats: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों ने जहां बीजेपी में जनता के भरोसे को मजबूत किया है, वहीं सबसे अधिक चौंकाने वाला परिणाम बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के लिए रहा, जो इस चुनाव में महज एक सीट पर सिमट गई। उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रह चुकीं बहनजी के खाते आई महज एक सीट से चुनावी पर्यवेक्षक भी हैरान हैं तो खुद मायावती ने इसका ठीकरा मीडिया पर फोड़ दिया है, जिनका कहना है कि मीडिया ने बसपा को बीजेपी की 'बी-टीम' के रूप में प्रचारित कर लोगों को गुमराह किया।
इन सबसे इतर उस सीट की बात करें, जिसकी वजह से बसपा का इस चुनाव में खाता भी खुल पाया तो वह पूर्वी यूपी में बलिया जिले की रसड़ा विधानसभा सीट है, जहां से उमाशंकर सिंह ने जीत हासिल की है। उन्होंने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रत्याशी महेंद्र चौहान को 6,583 वोटों के अंतर से हराया है। रसड़ा विधानसभा सीट से बसपा को 2012 और 2017 में भी जीत मिली थी और तब भी पार्टी के प्रत्याशी उमाशंकर सिंह ही थे, जिन्होंने इस बार भी अपनी सीट बरकरार रखी।
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उमाशंकर सिंह पांच साल पहले 2017 में भी अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे थे, जब 2014 के आम चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद प्रदेश में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भी पार्टी की लहर थी और पार्टी को 312 सीटों पर जीत मिली थी। बसपा ने इस चुनाव में 19 सीटें जीती थी, जिनमें से एक रसड़ा की सीट भी थी। उन्होंने तब बीजेपी प्रत्याशी रामइकबाल सिंह को 33 हजार मतों के अंतर से हराया था, जबकि इस चुनाव में रसड़ा से बीजेपी प्रत्याशी बब्बन राजभर तीसरे स्थान पर रहे।
अब एक बार फिर बीजेपी की सत्ता में वापसी के लिए मिले जनादेश में भी उमाशंकर सिंह ने यह सीट जीती है, जिससे इस चुनाव में बसपा का खाता प्रदेश में खुल सका है। इस विधानसभा क्षेत्र में वोटर्स की संख्या लगभग 3.35 लाख है, जिनमें से करीब 90 हजार अनुसूचित जाति के हैं। वर्ष 2012 से पहले यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी, लेकिन 2012 में परिसीमन बदलने के बाद यह सीट सामान्य हो गई और तब से उमाशंकर सिंह यहां से बसपा के टिकट पर चुनाव जीतते आ रहे हैं।
उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रह चुकीं बहनजी के खाते आई महज एक सीट
उमाशंकर सिंह की बात करें तो वह मूल रूप से नगरा ब्लाक के खनवर नवादा के रहने वाले हैं। सियासत में उनका सफर सतीश चंद्र महाविद्यालय, बलिया में छात्रसंघ के महामंत्री के तौर पर शुरू हुआ, जिसके बाद 2002-2003 में वह जिला पंचायत के सदस्य भी बने। पेशे से वह एक ठेकेदार हैं और संपत्ति के मामले में उनका नाम यूपी के शीर्ष 10 विधायकों में लिया जाता है। 2012 से वह सक्रिय राजनीति में आए, जिसके बाद से उन्होंने अपनी जीत का सिलसिला बरकार रखा है।