2016 में बीजेपी के दयाशंकर सिंह ने अगर बीएसपी सुप्रीमो मायावती के खिलाफ टिप्पणी ना की होती तो शायद स्वाति सिंह राजनीति का हिस्सा नहीं होतीं। लेकिन स्वाति सिंह के लिए उनके पति दयाशंकर सिंह का मायावती के खिलाफ बयान राजनीतिक अवसर लेकर आया। लखनऊ की सरोजनीनगर सीट से बीजेपी ने उन्हें टिकट दिया और वो विधानसभा पहुंचने में कामयाब हुईं। स्वाति सिंह सिर्फ विधायक ही नहीं बनीं, बल्कि वो योगी आदित्यनाथ सरकार की हिस्सा बनीं। यह बात अलग है कि वो अपने अच्छे कामों से अधिक विवादित कामों से ज्यादा जानी गईं।
स्वाति सिंह का टिकट क्यों कटा
अब सवाल यह है कि स्वाति सिंह को टिकट क्यों नहीं मिला। इस सवाल के दो जवाब बताए जाते हैं। पहला तो यह कि बीजेपी के द्वारा जब सरोजनीनगर सीट के बारे में आंतरिक जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि लोग उनके कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं। दूसरा, यह कि उनके पति दयाशंकर सिंह खुद चुनावी मैदान में उतरने की कोशिश में थे। अगर 2017 की बात करें को दयाशंकर सिंह उस वक्त टिकट के प्रबल दावेदार थे। लेकिन मायावती के खिलाफ की गई टिप्पणी का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। लेकिन सवाल फिर वही है कि क्या पति और पत्नी की आपसी अनबन में स्वाति सिंह टिकट पाने से चूक गईं।
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जानकार कहते हैं कि पति और पत्नी की आपसी लड़ाई से पार्टी खुद को परेशानी में महसूस कर रही थी। इसके साथ ही पिछले पांच वर्षों में स्वाति सिंह के कामकाज से सरकार की मुश्किलों में इजाफा हुआ था। सरकार और संगठन दोनों ने उन्हें संयत व्यवहार की अपील की थी। लेकिन उनके कामकाजी रवैये में किसी तरह का बदलाव नजर नहीं आया।
विवादों से रहा है नाता
अब सवाल यह है कि क्या स्वाति सिंह खुद के लिए कोई और ठिकाना ढूंढेगी या आने वाले समय का इंतजार करेंगी। जानकार कहते हैं कि वो हाल के दिनों में बात बात में कहा करती थीं कि पार्टी उन्हें नजरंदाज नहीं कर सकती है। लेकिन क्या वो अपनी नाराजगी का इजहार पार्टी से रिश्ता तोड़कर करेंगी यह देखने वाली बात होगी।