कल यानी 10 मार्च को उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों के चुनावी नतीजे आने वाले हैं, लेकिन उससे पहले ही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को लेकर सवाल उठने लगे हैं। चुनाव के दौरान समय-समय पर विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठाए। इसी विषय को लेकर टाइम्स नाउ नवभारत की एडिटर-इन-चीफ नाविका कुमार ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा से खास बातचीत की है। उनसे पूछा गया कि चुनावी नतीजों से पहले EVM पर सवालिया निशान क्यों लग जाता है? उन्होंने हर आरोप का जवाब दिया है।
सुशील चंद्रा ने कहा कि किसी को भी भ्रम फैलाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। हमने तो कई बार कहा है कि अगर कोई EVM को हैक कर सकता है तो हैक करके दिखाए, कोई ही आया नहीं। EVM में कोई फ्रीक्वेंसी नहीं है इसलिए ये हैक नहीं हो सकता। राजनीतिक दलों से मैं कहूंगा कि उन्हें वोटर्स में भरोसा करना चाहिए और उनके फैसले का सम्मान करना चाहिए।
उनसे सवाल किया गया कि क्या चुनाव आयोग पर दबाव होता है तो उन्होंने कहा कि नहीं। चुनाव आयोग स्वतंत्र संस्था है। आपको देखना होगा कि हमने किसके खिलाफ कार्रवाई की और किसके खिलाफ नहीं की। अगर आचार संहिता का उल्लंघन हुआ है तो हर किसी के खिलाफ कार्रवाई की गई, चाहे वो किसी भी पार्टी का क्यों न हो।
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार की शाम को भाजपा पर प्रशासनिक मशीनरी के जरिए वोटों की चोरी का आरोप लगाते हुए दावा किया कि उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारी अपने अधीनस्थों को निर्देश दे रहे हैं कि जहां भाजपा हार रही है, वहां मतगणना धीमी कर दी जाए। यादव ने आरोप लगाया कि हमारे लोगों को जानकारी मिली है कि मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव जिलों में डीएम (जिलाधिकारी) को फोन कर कह रहे हैं कि जहां जहां भाजपा के उम्मीदवार हारे वहां पर मतगणना धीमी होनी चाहिए। सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि बनारस में बिना प्रत्याशियों को संज्ञान में लिए ईवीएम ले जाई जा रही थी और एक ट्रक पकड़ा गया और दो ट्रक भाग गये।
UP elections 2022: मतगणना से ठीक पहले चर्चा में EVM, जानें क्या है पूरा विवाद