Faridabad Ultrasound: किसी भी अव्यवस्था का परिणाम आम आदमी को सबसे अधिक झेलना पढ़ता है। इसका ताजा उदाहरण नूंह के मेडिकल कॉलेज में देखने के मिल रहा है। पिछले महीने नूंह दौरे पर आए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शहीद हसन खां मेडिकल कॉलेज में एक सप्ताह के भीतर अल्ट्रासाउंड की सुविधा मुहैया करवाने का वादा किया था,लेकिन एक माह से अधिक समय बीतने के बावजूद भी मेडिकल कॉलेज में अल्ट्रासाउंड की सुविधा शुरू नहीं हो पाई है। इससे यहां प्रतिदिन आने वाले सैकड़ों मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
साल 2012 में करीब 550 करोड़ की लागत से बनाए गए मेडिकल कॉलेज से लोगों को काफी उम्मीदें थी। लेकिन सरकार और स्थानीय प्रशासन की उपेक्षा के कारण लोगों की उम्मीदें धूमिल हो रही हैं। मेडिकल कॉलेज की सुविधाओं के लिए जिले के युवाओं और नेताओं ने सरकार तथा प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने के लिए कई बार संघर्ष भी किया, लेकिन सब बेअसर साबित हुआ। यहां कोई रेडियोलॉजिस्ट नहीं है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड और एक्सरे नहीं हो रहे हैं। इस कारण मरीजों को काफी परेशानी हो रही है।
800 से एक हजार रुपये तक फीस
हालत ये है कि निजी अस्पताल में जाना पड़ता है जहां 800 से एक हजार रुपये तक देने पड़ रहे हैं। इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को भी दूसरे अस्पतालों में रेफर किया जाता है। जिससे लोगों को भारी मुसीबत उठानी पड़ रही है। जिले में अल्ट्रासाउंड और एक्सरे विभाग की अधिकतर सीटें खाली हैं। मेडिकल कॉलेज के कार्यकारी निदेशक डॉ. पवन गोयल ने बताया कि कॉलेज की सभी समस्याओं के बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया है। चिकित्सकों के अभाव में इन असुविधाओं से जूझना पड़ रहा है।
कैंसर के इलाज के लिए जाना पड़ता है बाहर
मेडिकल कॉलेज को बने लगभग 12 साल हो गए हैं लेकिन यहां पर अब तक दिल और दिमाग से जुड़े रोगों के उपचार के लिए कोई डॉक्टर नहीं है। इसके अलावा कैंसर के इलाज के लिए लोगों को दिल्ली-एनसीआर, अलवर, फरीदाबाद और जयपुर जाना पड़ता है।
विधानसभा में भी गूंजा मामला
मेडिकल कॉलेज के अलावा जिले के अन्य अस्पतालों की बदहाल व्यवस्था का मामला बीते दिनों विधानसभा में गूंजा था। नूंह विधायक आफताब अहमद व फिरोजपुर झिरका के युवा विधायक मामन खान इंजीनियर ने सरकार को बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए घेरा, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ है।
किसी भी अस्पताल में नहीं है सुविधा
मेडिकल कॉलेज के अलावा जिला नागरिक अस्पताल मांडीखेड़ा,पुन्हाना और नूंह सीएचसी में भी अल्ट्रासाउंड की कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोग किस तरह से अपना इलाज करा रहे हैं।