Pollution in Ghaziabad: देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर का तमगा मिलने के बाद अब गाजियाबाद को प्रदूषण मुक्त करने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई शुरू हो गई। शहर को प्रदूषण मुक्त करने के लिए सोमवार को जिला उद्योग केंद्र में जिला पर्यावरण समिति की बैठक हुई। इस बैठक में यह बड़ा फैसला लिया गया कि जिन औद्योगिक क्षेत्रों के पास अब आवासीय क्षेत्र स्थापित हो गए हैं, वहां पर प्रदूषण फैलाने वाले उन सभी उद्योगों को अब बंद किया जाएगा जो प्रदूषण फैला रहे हैं। साथ ही ऐसी जगहों पर अब प्रदूषण फैलाने वाले किसी भी नए उद्योग को लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
प्रशासन के इस फैसले पर बैठक में मौजूद औद्योगिक संगठनों ने अनुरोध किया कि ऐसे उद्योगों पर कोई कार्रवाई न की जाए, जो सभी सरकारी मानकों का पालन कर रहे हैं। सिर्फ नए उद्योगों पर ही ये नियम लागू होने चाहिए। इस दौरान औद्योगिक संगठनों ने अधिकारियों के सामने अपनी कई मांगे भी रखी।
यह रही औद्योगिक संगठनों की मांग
- प्रशासन औद्योगिक इकाइयों को पीएनजी पर चलाने के साथ-साथ अल्टरनेट फ्यूल्स जैसे एलएचएस पर भी चलाने की अनुमति भी दे। जिससे उद्योगों को फ्यूल आसानी से उपलब्ध हो सके।
- शहर को प्रदूषित करने में सिर्फ उद्योग नहीं, बल्कि वाहन, निर्माण सामग्री और क्षतिग्रस्त सड़कें भी शामिल हैं। इसलिए समस्त कारकों पर रोकथाम की कार्रवाई हो। सिर्फ उद्योगों को दोषी न ठहराया जाए।
- सभी उद्योगों को पीएनजी पर कन्वर्जन हेतु जानकारी प्रदान कराने के लिए प्रशासन द्वारा एक वर्कशॉप सेमिनार का आयोजन किया जाए, जिसमें आईजीएल एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तकनीकी टीम भी उपस्थित रहे।
औद्योगिक संगठन करा सकते हैं थर्ड पार्टी सर्वे
बैठक में मौजूद उद्योग विभाग के संयुक्त आयुक्त बीरेंद्र कुमार ने औद्योगिक संगठनों को सुझाव दिया कि वे प्रदूषण की गुणवत्ता के सर्वे हेतु थर्ड पार्टी संस्था जैसे नीरी एवं आईआईटी दिल्ली से स्वयं के खर्च पर सर्वे करा सकते हैं। औद्योगिक संगठनों द्वारा इस पर विचार-विमर्श करने की बात कही गई।