Madhuban-Bapudham Scheme: आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के कई प्रोजेक्ट रूके पड़े हैं। अब संस्थान को इस अर्थिक तंगी से उबराने के लिए विभाग के अधिकारी मधुबन-बापूधाम योजना को सफल बनाने में जुट गए हैं। जीडीए अधिकारियों के अनुमान के मुताबिक, यहां की संपत्ति बेचकर प्राधिकरण को करीब छह हजार करोड़ रुपये की आय होगी।
प्रोजेक्ट के अनुसार, यहां पर निर्माण कार्य शुरु करने का प्लान तैयार हो गया है। अप्रैल माह में अधिग्रहित जमीन पर कब्जा लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। जिसके बाद डेवलपमेंट का कार्य शुरू किया जाएगा।
18 साल से लटका प्रोजेक्ट
मधुबन-बापूधाम आवासीय योजना जीडीए का ड्रीम प्रोजेक्ट है, इस योजना के लिए वर्ष 2004 में छह गांवों की जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुई थी। उस समय जीडीए ने किसानों के साथ 800 एकड़ जमीन के अधिग्रहण का करार कर लिया था, लेकिन बची 434 एकड़ जमीन के मालिक किसान व सहारा ग्रुप ने अपनी जमीन देने से मना कर दिया और अधिग्रहण के खिलाफ हाई कोर्ट चले गए। लंबी सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने जीडीए के पक्ष में फैसला दिया। जिसके बाद जीडीए ने 153 एकड़ जमीन फिर ले ली, लेकिन 281 एकड़ जमीन का विवाद नहीं सुझा और वर्ष 2010 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया।
यहां छह साल की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2016 में नए भू-अधिग्रहण कानून के अनुसार मुआवजा देकर जमीन लेने के आदेश दिए। इसके बाद जीडीए कर्ज लेकर किसानों को बढ़ा हुआ मुआवजा दे चुका है। अब पुराने किसान भी नए कानून के हिसाब से मुआवजा मांग रहे हैं। वहीं जीडीए अधिकारियों का कहना है कि, जो किसान मुआवजा ले चुके हैं, उन्हें अब मुआवजा नहीं दिया जाएगा।
जीडीए कर रहा आर्थिक तंगी का सामना
जीडीए इस समय आर्थिक तंगी का सामना कर रहा है, जिसके कारण इसके कई प्रोजेक्ट रूक गए हैं। जीडीए, सेतु निगम व अन्य निर्माण एजेंसी के डिमांड के अनुसार, पैसा मुहैया नहीं करा पा रहा है। जिस कारण पहले से चल रहे प्रोजेक्ट की रफ्तार जहां धीमी हो गई है, वहीं नए प्रोजेक्ट शुरु नहीं हो पा रहे हैं। जीडीए को अब मधुबन-बापूधाम आवासीय योजना से रफतार पकड़ने की उम्मीद है।