Corruption in Expressway: दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे (डीएमई) के निर्माण में आए दिन भ्रष्टाचार के मामलों का खुलासा हो रहा है। अब एक बार फिर से इस एक्सप्रेस-वे को बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण में 22 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। गाजियाबाद प्रशासन ने इस मामले को लेकर सिहानी गेट थाने में फर्जीवाड़े का मामला दर्ज कराया है। प्रशासन की तरफ से जल्द ही वूसली प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
बता दें कि, इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोप में पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गाजियाबाद के दो तत्कालीन डीएम के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए थे। इसमें तत्कालीन डीएम निधि केसरवानी को सस्पेंड किया गया और तत्कालीन डीएम विमल कुमार शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई। इसके बाद से इस परियोजना के संबंधित मुआवजे व अवैध खातों की लगातार जांच कर भ्रष्टाचार का पता लगाने की कोशिश की जा रही है।
इस भ्रष्टाचार की जानकारी देते हुए एडीएम प्रशासन ऋतु सुहास ने कहा कि, एक्सप्रेस-वे की फाइलों की जांच के दौरान मटियाला व रसूलपुर सिकरोड़ा की जमीनों पर मुआवजा लेने का मामला संदिग्ध प्रतीत हुआ। इसके बाद तहसीलदार सदर से पूरे मामल की जांच कराई गई, जिसमें पता चला कि, अशोक सहकारी समिति के सचिव अरुण गुप्ता, सदस्य गोल्डी गुप्ता व अन्य ने मिलकर गलत तरीके से मुआवजा हासिल कर राज्य सरकार को 22 करोड़ रुपये की आर्थिक क्षति पहुंचाई। इस मामले में कानूनी कार्रवाई के लिए इन सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई है। अब जल्द ही आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए वसूली की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
एडीएम ऋतु सुहास ने बताया कि, अशोक सहकारी समिति फर्जी तथ्यों के आधार पर गठित की गई थी। इस समिति का निरस्तीकरण वर्ष 1999 में ही कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद भी उपरोक्त आरोपियों द्वारा गलत तरीके से समिति के नाम पर जमीनों की खरीद-फरोख्त की गई। इस एक्सप्रेस-वे की अधिसूचना जारी होने के बाद इस समिति द्वारा मटियाला व रसूलपुर सिकरोड़ गांव में जमीनों की खरीद-फरोख्त कर सरकार से बढ़ी दर पर मुआवजा हासिल कर आर्थिक क्षति पहुंचाई गई।