Ghaziabad News: धोबीघाट आरओबी का 76.5 मीटर लंबा दूसरा धनुषाकार गर्डर अपनी जगह पर स्थापित हो चुका है, जिसके साथ ही इस आरओबी से आवाजाही की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। हालांकि अभी यह पूरी तरह से लांच नहीं हुआ है, क्योंकि पहले गर्डर के बराबर लाने के लिए नीचे से लांचिंग पैड हटाना पड़ेगा। इस पर बचा हुआ कार्य 11 अप्रैल को दोपहर बाद 1:20 बजे से 3:40 बजे के बीच किया जाएगा। इस दौरान यहां पर ट्रेनों का संचालन भी प्रभावित रहेगा। रेलवे ने इस ब्लाक की स्वीकृत दे दी है।
बता दें कि, धोबी घाट आरओबी की मांग कई दशकों पुरानी है। अभी प्रतिदिन हजारों लोग कोटगांव फाटक से रेलवे लाइन को क्रॉस करते हैं। इस दौरान ट्रेन की चपेट में आकर कई लोग अपनी जान गांव बैठे हैं। इस आरओबी को बनाने का प्लान करीब 80 के दशक में ही बन गया था, लेकिन हाई लेवल से अप्रूवल नहीं मिलने के कारण यह प्रोजेक्ट अभी तक लटका रहा। इस आरओबी के शुरू होने के बाद यहां से गुजरने वाले हजारों लोगों को फायदा होगा।
रद्द नहीं होगी कोई ट्रेन
11 अप्रैल को मिले ब्लाक के दौरान आरओबी का बचा हुआ कार्य पूरा किया जाएगा। इस दौरान ट्रेनों का परिचालन भले ही प्रभावित रहेगा, लेकिन किसी ट्रेन को रद्द नहीं किया जाएगा। रेलवे अधिकारियों के अनुसार कुछ ट्रेनों को रोककर चलाया जाएगा। आरओबी निर्माण का सबसे जटिल और मुश्किल काम गर्डर लांचिंग ही है। इसके बाद सिर्फ अस्थायी स्टेशग हटाने, दूसरे गर्डर पर रोड बनाने और विजयनगर व चौधरी मोड़ छोर पर चल रहे काम को पूरा करना बाकी है। अधिकारियों का दावा है कि इसी माह सभी काम पूरे कर आरओबी को वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दिया जाएगा।
इसलिए धनुषाकार गर्डर बनाया गया
गाजियाबाद जंक्शन पर कानुपर की तरफ बनाया जा रहा यह आरओबी करीब 700 मीटर लंबा है, जो बनने के बाद स्टेशन के विजयनगर साइड को चौधरी मोड़ से जोड़ देगा। प्लेटफार्म से गुजर रहे इस आरओबी को बनाने में सबसे बड़ी बाधा प्लेटफार्म और रेलवे ट्रैक के बीच स्पैन डालने की थी। सर्वे में सामने आया कि प्लेटफार्म पर तो स्पैन डाले जा सकते हैं, लेकिन रेल लाइनों के बीच खोदाई करने से इलेक्टि्रफिकेशन और सिग्नल प्रणाली बाधित हो सकती है। यह रेलवे के लिए बड़ा नुकसान होता। ऐसी स्थिति में अधिकारियों ने खतरा मोल लेने के बजाय धनुषाकार गर्डर डालने का फैसला किया। स्टेशन के दोनों छोर का दायरा 150 मीटर से अधिक है। इसीलिए प्लेटफार्म 3-4 पर बड़ा स्पैन डालकर इसे दो हिस्सों में बांटा गया और दोनों हिस्सों पर सिंगल स्पैन धनुषाकार गर्डर रखे गए।