Gurugram: गुरुग्राम में 8 साल बाद एक बार फिर सज गया सरस हस्तशिल्प मेला, जानें इससे जुड़ी खास बातें

Gurugram News: गुरुग्राम का आईकॉनिक सरल मेले 8 साल बाद एक बार फिर से शुरू हो गया है। लेजर वैली मैदान में लगे इस मेले में कई राज्‍यों की 150 से ज्‍यादा हस्‍तशिल्‍प के स्‍टॉल लगे हैं। यह मेला 20 अप्रैल तक जारी रहेगा।

Gurugram News
सैलानी यहां पर हरियाणवी कल्‍चर का लुफ्त उठा सकते हैं  |  तस्वीर साभार: Representative Image
मुख्य बातें
  • सरस मेले में सजा हस्‍तशिल्‍प का बाजार
  • यहां मिलेंगे कई राज्‍यों के हस्‍तशिल्‍प उत्‍पाद
  • लेजर वैली मैदान में 20 अप्रैल तक जारी रहेगा यह मेला

Gurugram News: साइबर सिटी के लेजर वैली मैदान में लंबे इंतजार के बाद एकबार फिर से हस्तशिल्प का बाजार सज गया। करीब आठ साल बाद इस सरस मेले का शुभारंभ प्रदेश के पंचायत एवं विकास मंत्री देवेंद्र बबली ने किया। हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एचएसआरएलएम) की ओर से लगाया गया यह मेला अब 20 अप्रैल तक जारी रहेगा। इस मेले में स्वयं सहायता समूहों के ग्रामीण कारीगरों की पारंपरिक कला और उत्पादों की प्रदर्शनी और बिक्री होगी। आम सैलानी यहां पर हरियाणवी कल्‍चर का लुफ्त उठा सकते हैं। हरियाणा सरकार द्वारा इस मेले में सैलानियों के लिए पार्किंग, पेयजल जैसे सभी मूलभूत सुविधाएं दी गई है।

स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता की कहानी बयां कर रहा यह मेला

सारस मेले को गुरुग्राम का आईकॉनिक मेला माना जाता है। दसे देखने के लिए कई राज्‍यों के सैलानी यहां पहुंचते हैं। यही कारण है कि यह मेला शुरू होते ही शहर में सैलानियों की भीड़ बढ़ गई है। इस बार मले की खास बात यह है कि यह स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता की कहानी बयां कर रहा है। यहां अधिकांश स्टॉलों पर महिलाएं का हुनर साफ दिखाई दे रहा है। मेले में प्रदेश व देश के अन्य राज्यों के करीब 150 स्टॉल लगाए गए हैं। इनमें उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, ओडिशा, आंध्रप्रदेश, बिहारी, उत्तर प्रदेश के हस्तशिल्पकार शामिल हैं। हरियाणा के सभी जिला के स्वयं सहायता समूह इसमें शामिल हैं।

संस्कृतियों को समझने का संगम है मेला

प्रदेश के पंचायत एवं विकास मंत्री देवेंद्र बबली ने मेले में लगे स्टॉलों का अवलोकन करते हुए कहा कि हस्तशिल्प मेले न केवल अपने हुनर को प्रदर्शित करने का मौका प्रदान करते हैं बल्कि एक-दूसरे की संस्कृति को समझने का अवसर भी प्रदान करते हैं। यह एक तरह से संगम है जो एक दूसरे की संस्कृति और सभ्यता के आदान-प्रदान का मौका देता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण आजीविका मिशन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अग्रसर है।

अगली खबर