नई दिल्ली: आज से ठीक 19 साल पहले आज ही के दिन संसद पर हुए उस आतंकी हमले को भला कौन भूल सकता जब आतंकियों ने संसद पर हमला कर पूरे देश को सकते में डाल दिया था। 13 दिसंबर 2001 की दोपहर में जब संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था और तमाम विपक्षी सांसदों के हंगामे की वजह से दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित कर दी थी, उसी दौरान पूरा देश अचानक से थर्रा उठा था। जैश-ए-ंमोहम्मद के पांच आतंकवादी पूरी तैयारी के साथ संसद भवन में घुस गए और संसद परिसर में अंधाधुंध गोलियां बरसाईं थी। इस हमले में 9 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे जबकि पांच आतंकवादी भी मारे गए। हमले को लेकर तत्कालीन बाजपेयी सरकार की खूब आलोचना भी हुई थी। इस हमले को लेकर पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल सुशील कुमार ने अपनी एक किताब में कई खुलासे किए थे।
बनाई थी सर्जिकल स्ट्राइक की योजना
पिछले वर्ष जुलाई में प्रकाशित किताब “ए प्राइममिनिस्टर टू रीमेम्बर” में उन्होंने खुलासा किया था कि संसद हमले के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने सर्जिकल स्ट्राइक की तरह पीओके में एयर स्ट्राइक की योजना बनाई थी। इस किताब में उन्होंने लिखा, 'इस हमले के तुरंत बाद तीनों सेनाओं के प्रमुखों की तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नाडीज के साथ बैठक हुई। आर्मी ऑपरेशन रूम में हुई इस बैठक में तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा भी शामिल हुए थे।' इस पुस्तक में कहा गया है कि भारतीय संसद पर हुए हमले (13 दिसम्बर, 2001) के बाद बाजपेयी पाकिस्तानी सेना के कैंप को नष्ट करना चाहते थे, परन्तु बाद में किन्ही कारणों से उन्हें इस योजना को टालना पड़ा।
की गई थी ठिकानों की पहचान
इस किताब में एडमिरल सुशील कुमार ने आगे लिखा है, 'बैठक के दौरान समय के मुताबिक कदम उठाने पर चर्चा की गई। बैठक के दौरान नियंत्रण रेखा और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के अंदर मौजूद आतंकवादी ठिकानों की पहचान की गई। पाकिस्तानी सेना ने आतंकी कैंपों, जिन्हें निशाना बनाया जाना था उन्हें नजदीक में कहीं और शिफ्ट कर दिया था।
बैठक के दौरान कई दौर की चर्चा हुई। इसके बाद प्रधानमंत्री बाजपेयी के आवास पर तीनों सेना प्रमुखों को बुलाया गया। बैठक 7 आरसीआर में हुई बैठक में कई फैसले लिए।
आर्मी पूरी तरह तैयार थी लेकिन अंतिम समय में खुफिया एजेंसी की इनपुट के मुताबिक आतंकियों ने अपना ठिकाना बदल दिया था। आतंकियों का नया कैंप एक बड़े हॉस्पिटल और स्कूल के पास था। ऐसे में पीएम अटल बिहारी बाजपेयी ने ये फैसला वापस ले लिया था।
कैसे हुआ था संसद हमला
13 दिसंबर को सुबह 11 बजकर 20 मिनट पर पर आतंकवादी लाल बत्ती लगी सफेद रंग की एक एंबेस्डर कार में सवार होकर संसद परिसर में दाखिल हुए। ये कार विजय चौक से संसद भवन की तरफ बढ़ने लगी। सदनों की कार्यवाही स्थगित होने की वजह से पीएम मोदी सहित कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सदन से निकल चुके थे। लेकिन तब के गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत करीब 100 सांसद संसद में ही मौजूद थे। कार को जब एक सुरक्षाकर्मी ने रोकने की कोशिश की तो उसने रफ्तार तेज कर दी। सुरक्षाकर्मी ने कार का पीछा शुरू कर दिया तभी आतंकियों की कार ने उप राष्ट्रपति के काफिले पर टक्कर मार दी और इसके बाद गेट नंबर 9 की तरफ कार मोड़ दी। एक पत्थर पर कार टकराने के बाद आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। इसके बाद संसद परिसर में जो फायरिंग हुई उससे हर कोई खौफ में आ गया। बाद में लंबे समय तक चले ऑपरेशन में पांचों आतंकी मारे गए।
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