नई दिल्ली : कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर की रफ्तार धीमी पड़ती नजर आ रही है, लेकिन जिस तरह वायरस की प्रकृति लगातार बदल रही है और विभिन्न देशों में नए स्ट्रेन्स/वैरिएंट्स सामने आ रहे हैं, उसे देखते हुए चिंता बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञों ने सितंबर तक कोविड-19 की तीसरी लहर आने को लेकर भी चेताया है, जिसे बच्चों के लिए अधिक खतरनाक बताया जा रहा है।
इस संबंध में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल का कहना है कि भारत पहले से इसे लेकर सतर्क है और इसे ध्यान में रखते हुए नई बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है और उसे अपडेट भी कर रहा है। नई जानकारियों को ध्यान में रखतेर हुए यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि बच्चों को इसके घातक दुष्प्रभावों से बचाया जा सके। हालांकि वायरस की बदलती प्रकृति को लेकर उन्होंने चेताया भी।
डॉ. पॉल के अनुसार, 'फिलहाल कोविड संक्रमण की स्थिति बच्चों में गंभीर नहीं देखी गई है और बहुत से बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत नहीं पड़ी है। लेकिन जिस तरह से इस महामारी के संदर्भ में लगातार बदलाव हो रहे हैं, उसे देखते हुए कुछ भी साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता। हम इसके लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं कि बच्चों पर इसका दुष्प्रभाव न पड़े।'
उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 की बदलती प्रकृति को ध्यान में रखते हुए विशेष सतर्कता बरती जा रही है। विशेषज्ञों का एक समूह भी गठित किया गया है। इस संबंध में जल्द ही नई गाइडलाइंस जारी की जाएगी।
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