नई दिल्ली: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से जुड़े 25 व्यक्तियों को विभिन्न आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। प्रवीण कुमार, आईजी (लॉ एंड ऑर्डर), उत्तर प्रदेश ने ये जानकारी दी। उत्तर प्रदेश पुलिस ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है। नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर राज्य के कई हिस्सों में हुए हिंसक प्रदर्शन के पीछे पीएफआई की भूमिका सामने आई है।
पिछले हफ्ते यूपी पुलिस ने PFI के तीन सदस्यों को लखनऊ से गिरफ्तार किया था, जिसमें राज्य प्रमुख वसीम भी थी। 18 शामली से और 4 मेरठ से गिरफ्तार किए गए।
पुलिस को बैनर, झंडे और पर्चे जैसी सामग्री मिली थी। पुलिस के अनुसार, विरोध प्रदर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोगों को बुलाने की रणनीति थी, जिसके लिए सोशल मीडिया वेबसाइटों पर समूह बनाए गए थे और सीएए के साथ-साथ एनआरसी के खिलाफ लोगों को उकसाने के लिए तस्वीरें और वीडियो साझा किए गए थे।
20 दिसंबर को यूपी के कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन हुआ। इस हिंसा में 19 लोगों की मौत भी हुई। गृह मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा गया है कि पीएफआई के कई सदस्य पहले प्रतिबंधित इस्लामिक ग्रुप स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से जुड़े थे।
उत्तर प्रदेश पुलिस का दावा है कि पीएफआई 2010 से भारत के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय है और इस समूह के सदस्य देश में शांति और सद्भाव को बाधित करने में शामिल हैं।
PFI पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि हिंसा में पीएफआई की भूमिका आ रही है, गृह मंत्रालय सबूतों के आधार पर आगे की कार्रवाई तय करेगा। उन पर स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से संबंध सहित कई आरोप हैं।
इससे पहले उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सरकार प्रस्ताव लाकर PFI पर बैन लगाएगी। यूपी में हिंसा फैलाने में पीएफआई का हाथ है। सिमी के ही लोग PFI में थे, जिन्होंने हिंसा फैलाई।
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