मुंबई. 26/11 ये वो तारीख है जो हर साल मुंबई हमले के जख्मों को फिर से हरा कर देती है। साल 2008 में आज ही के दिन पाकिस्तान से आए लश्कर-ए-तौयबा के 10 आतंकवादियों ने 166 लोगों को गोलियों से भून दिया था। ये आतंकवादी 24 नवंबर के दिन कराची से अल हुसैनी नाम की ट्रॉलर से निकले थे। रास्ते में आतंकवादियो ने अपने हैंडलर्स से कोड वर्ड्स में बात की थी।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक आतंकवादियों को हैंडलर्स ने कहा था कि वह कोड वर्ड्स में बात करेंगे। इसमें पहला कोड वर्ड था अभी तक मछली लग रही है। इसका मतलब था अभी तक हालात ठीक है। दूसरा कोड वर्ड था- भाई लो आ रहे हैं। इसका मतलब था- मछवारों की कश्ती आ रही है।
भारतीय नेवी से बचने के लिए इन आतंकियों का कोडवर्ड था- यार लोगों से बचकर रहना। यार लोग भारतीय नेवी के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। इसके अलावा-यार लोगों का ग्रुप देखा गया। इसका मतलब था- भारतीय नेवी का जहाज देखा गया।
मदद मांगने के लिए ये था कोडवर्ड
आतंकी यदि रास्ते में किसी मुसीबत में फंसते इसके लिए भी उन्हें कोडवर्ड दिया गया। ये कोडवर्ड था- मशीन में हैं माल चाहिए। मशीन का यहां मतलब है दिक्कत में हैं और माल का मतलब था मदद चाहिए। आतंकी यदि किसी मुसीबत में नहीं फंसे हैं तो वह अपने आकाओं को ' बर्फ ठीक चल रही हैं' कोड वर्ड में बताएंगे।
आतंकियों के इस कोड वर्ड का मतलब है सफर अभी तक ठीक चल रहा है। आपको बता दें कि आतंकियों ने कुबैर नाम की फिशिंग ट्रॉलर को हाइजैक किया था। दस आतंकी गुजरात के पोरबंदर के रास्ते मुंबई पहुंचे थे। मुंबई पहुंचते ही उन्होंने इस ट्रॉलर के मालिक अमर सिंह सोलंकी की गला रेत कर हत्या कर दी थी।
दो बार पहले भी कर चुके हैं कोशिश
साल 2016 में इस हमले के मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हैडली ने अदालत के सामने 26/11 से जुड़े कई खुलासे किए थे। हैडली ने बताया था कि 26 नवंबर से पहले भी दो बार मुंबई में हमला करने की कोशिश की गई थी।
हैडली के मुताबिक- पहली कोशिश सितंबर 2008 में की गई, लेकिन नाव समंदर में चट्टान से टकराकर पलट गई। नांव के साथ सारे हथियार समुद्र में ही खो गए थे। हालांकि, ये 10 आतंकी बच गए। इसके बाद दूसरी कोशिश अक्टूबर 2008 में की गई। ये भी नाकाम रही थी।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।