मुंबई: 26/11 मुंबई हमले को भला कौन भूल सकता है जब पाकिस्तान से आए लश्कर-ए- तैयबा के आतंकवादियों द्वारा किए गए बम धमाकों और गोलीबारी से मुंबई दहल गया था। चार दिन तक चली इस आतंकी वारदात को आज 12 साल हो गए हैं। इस आतंकी हमले में 160 से अधिक लोगों की जान चले गई थी जबकि 300 से अधिक लोग घायल हो गए थे। समुद्र के जरिए मुंबई में घुसे आतंकी सबसे पहले कोलाबा के पास पास उतरे थे और उसके बाद चार ग्रुपों में बंटकर शहर को दहलाने निकल गए थे।
इमारत से निकलता धुंआ बना पहचान
आतंकवादियों ने इस दौरान शिवाजी टर्मिनल, दक्षिणी मुंबई का लियोपोल्ड कैफे, ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल और नरीमन हाउस में जो खूनी खेल खेला, उसे भला कौन भूल सकता है। ताज होटल में आतंकियों को मार गिराने के लिए कई घंटों तक बड़ा ऑपरेशन चला और इमारत से निकलता धुंआ तो बाद में हमलों की पहचान बन गया। इस दौरान आतंकी जब ताज होटल में चुन-चुन कर लोगों को मार रहे थे तो एक शख्स ऐसा भी था जो लोगों की जान बचा रहा था वो भी अपनी बीबी- बच्चों की लाश के सामने, और यह शख्स थे होटल के तत्कालीन जनरल मैनेजर करमबीर सिंह कांग।
सामने पड़ी थी बीबी, और बच्चों की लाश
करमबीर सिंह कांग ने जो बहादुरी दिखाई वो एक मिसाल है। सामने पत्नी और बच्चों की लाश पड़ी थी लेकिन करमीबर ने जो साहस दिखाया उसकी कल्पना शायद ही कोई कर सकता है। एक बेहतरीन तालमेल के जरिए कई लोगों की जान बच गई। जिस समय आतंकी होटल में घुसे थे उस दौरान वहां सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद थे और कईयों को आतंकी मौत के घाट उतार चुके हैं। सामने मैनेजर करमबीर सिंह कांग की पत्नी नीति, दो बेटे उदय और समर की लाश पड़ी थी।
मिल चुके हैं कई सम्मान
इन तीनों की लाश बाद में एक होटल से मिली थी। इसके बाद कांग को कई सम्मान मिले थे लेकिन इस दौरान करमबीर किसी तरह आतंकियों से बचकर दूसरों की मदद कर रहे थे और फायर ब्रिगेड और पुलिसवालों से अपने परिवार को बचाने की गुहार लगा रहे थे। लेकिन जब तक फायर ब्रिगेड की टीम उनके कमरे में पहुंची तो वहां तीनों की लाश थी।करमबीर को फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति निरोलस सरकोजी ने उनके अदम्य साहस के लिए 'ऑफिसर ऑफ नेशनल ऑर्डर ऑफ मेरिट' का पदक देकर सम्मानित किया। वहीं 2009 में फोर्ब्स मैग्जीन ने पर्सन ऑफ द ईयर चुना था। हमले के दौरान करमबीर के पिता ने उनका फोन पर हौंसला बढ़ाते हुए कहा था कि आप एक आर्मी जनरल के बेटे हैं। जहां पर हो वहां पर डटे रहो।
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