नई दिल्ली : पाकिस्तान से आए आतंकियों ने आज ही दिन मुंबई में खून खराबा मचाया था, जिसमें 166 लोगों की जान चली गई थी, जबकि 600 से अधिक लोग घायल हो गए थे। 26 नवंबर 2008 को इस वारदात को पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों अंजाम दिया था, जिसमें से एक अजमल आमिर कसाब भी था। अन्य 9 आतंकी तीन दिनों तक चले हमले के दौरान सुरक्षा बलों की कार्रवाई में मारे गए थे। केवल कसाब ही जिंदा पकड़ा गया था, जिससे न केवल हमले के पीछे पाकिस्तान की साजिश का खुलासा हुआ, बल्कि भारतीय एजेंसियों को इस बारे में गई अन्य जानकारियां भी हासिल हुईं।
कसाब के जिंदा पकड़े जाने से ही इसका भी खुलासा हुआ कि जो 10 आतंकी पाकिस्तान से 'अल हुसैनी' नामक नाव के जरिये मुंबई में दाखिल हुए थे, उनमें सभी के पास फर्जी पहचान-पत्र थे और ये हिन्दुओं के नाम पर थे। इसके पीछे मकसद यह था इसे हिन्दू आतंकवाद का नाम दिया जा सके। खुद कसाब के पास भी फर्जी पहचान-पत्र था, जिसमें उसका नाम समीर दिनेश चौधरी बताया गया था और उसके घर का पता बेंगलुरु के नगरभावी इलाके में टीचर्स कॉलोनी को बताया गया।
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी किताब 'लेट मी से इट नाऊ' (Let Me Say It Now) में विस्तार से इन सबके बारे में बताया है। उनकी यह किताब इसी साल फरवरी में सामने आई थी, जिसमें उन्होंने मुंबई हमलों को लेकर कई खुलासे किए। इसी में उन्होंने बताया है कि कसाब के पास समीर दिनेश चौधरी नाम का फर्जी पहचान-पत्र मिला तो उसने खुद को हिन्दू पहचान देने के लिए हाथों पर कलावा भी बांध रखा था, जबकि उसके घर का पता बेंगलुरु में बताया गया था।
हाथों में AK-47 लिए और मुंबई के पुलिस थाने की दो तस्वीरों के जरिये भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान को यह संदेश दे दिया था कि कसाब कब्जे में है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गया था, क्योंकि पाकिस्तान हमले की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर रहा था और शुरुआत में उसने कसाब को अपना नागरिक तक मानने से इनकार कर दिया था। पाकिस्तान की मीडिया में इसका खुलासा होने के बाद कि कसाब फरीदकोट का रहने वाला है, पाक सरकार ने उसे अपना नागरिक माना था। कसाब को 21 नवंबर 2012 को सुबह 7.30 बजे पुणे की यरवडा जेल में फांसी दी गई थी
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