पीएम के तौर पर नरेंद्र मोदी के सामने कई चैलेंज भी आए। लेकिन वो कभी घबराए नहीं। बल्कि आगे बढ़कर खुद मोर्चा संभाला। फिर चाहे कोरोना जैसी महामारी का चैलेंज हो। या फिर दूसरे मुद्दे हों। आपको 43 साल पुरानी एक कहानी बताते हैं। गुजरात में एक जिला है मोर्बी। वहां पर मच्छू बांध है। 1979 में वहां भारी बारिश से वजह से बांध टूट गया था। पूरा शहर तबाह हो गया था। करीब 20 हजार लोग मारे गए थे। तब नरेंद्र मोदी वहां पर राहत बचाव के काम में जुटे हैं। पीएम मोदी ने बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी संधू को इस वाकये के बारे में बताया था कि
जब टूट गया था मच्छू बांध
11 अगस्त 1979 को लगातार 3 दिन बारिश होने से मच्छू बांध ओवरफ्लो होकर रात को करीब 3 बजे टूट गया। इससे भीषण तबाही हुई। तब वो स्वयंसेवक के तौर पर वहां गए और राहत कार्य किया। इस त्रासदी में हजारों लोगों की जान गई, कई इमारतें गिर गईं। चारों तरफ घोर निराशा थी। उस वक्त उन्होंने लोगों को हिम्मत देने के लिए एक भावुक पत्र लिखा और इसे घर घर जाकर बांटा। तब गुजरात सरकार की तरफ से राहत कार्य का जिम्मा संभालने वाले अधिकारी ने लोगों का मनोबल बढ़ाने के लिए मोदी की तारीफ की थी।
मिशन चंद्रयान-2 से जुड़ी कहानी
अक्सर क्राइसिस के वक्त में दूसरे नेता घबरा जाते हैं। लेकिन नरेंद्र मोदी हालात संभालने के लिए खुद आगे आते हैं। इसका एक और उदाहरण बताते हैं।सितंबर 2019 में मिशन चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर चंद्रमा पर लैंड करने वाला था। पूरा देश इस वक्त का इंतजार कर रहा था।
पीएम मोदी खुद इसरो के सेंटर पर वैज्ञानिकों के बीच मौजूद थे। पल पल की अपडेट ले रहे थे लेकिन अचानक से विक्रम लैंडर का संपर्क टूट गया। और चंद्रमा की सतह पर उसकी क्रैश लैंडिंग हो गई। वैज्ञानिकों के लगातार कोशिशों के बावजूद विक्रम लैंडर से कोई संपर्क नहीं हो पाया। इसके बाद इसरो सेंटर में मौजूद सभी वैज्ञानिकों के बीच निराशा छा गई। प्रधानमंत्री मोदी ने सभी की मौजूदगी में वैज्ञानिकों को साहस दिया और भरोसा दिलाया।
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