उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में चल रही 56वीं ऑल इंडिया डीजीपी-आईजी कॉन्फ्रेंस का आज दूसरा दिन है। आज फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेंगे। गृह मंत्री अमित शाह भी कॉन्फ्रेंस में शामिल होंगे। कॉन्फ्रेंस में साइबर क्राइम को रोकने, धर्मांतरण, कट्टरवाद, घुसपैठ, जम्मू-कश्मीर में बढ़ रही हिंसा, जेलों के भीतर सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर मंथन हो रहा है। देश के अलग-अलग राज्यों में बढ़ती नक्सली हिंसा पर भी चर्चा हो रही है। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के रेड कॉरिडोर में पुलिस की कांबिंग गश्त की रणनीति बनाने पर मंथन हुआ है। शनिवार को भी प्रधानमंत्री और गृहमंत्री इस बैठक में शामिल हुए थे और ये बैठक करीब 10 घंटे तक चली थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा कि लखनऊ में डीजीपी/आईजीपी सम्मेलन में हिस्सा लिया। यह एक महत्वपूर्ण मंच है जिसमें हम अपने पुलिस ढांचे के आधुनिकीकरण पर व्यापक विचार-विमर्श कर रहे हैं।
डीजीपी सम्मेलन के मुद्दे
अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस तीन दिवसीय सम्मेलन के दूसरे दिन सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशक, केंद्रीय पुलिस बलों के महानिदेशकों और 350 अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
प्रधानमंत्री ने 2014 से डीजीपी सम्मेलन में गहरी दिलचस्पी ली है। वर्ष 2014 से पहले यह वार्षिक सम्मेलन दिल्ली में ही आयोजित किया जाता था। वर्ष 2020 का डीजीपी सम्मेलन एक अपवाद है, जिसे डिजिटल माध्यम से आयोजित किया गया था। सम्मेलन को 2014 में गुवाहाटी में, 2015 में धोर्डो, कच्छ की खाड़ी, 2016 में राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, हैदराबाद, 2017 में बीएसएफ अकादमी, टेकनपुर, 2018 में केवड़िया और 2019 में आईआईएसईआर, पुणे में आयोजित किया गया था। वर्ष 2014 से पहले इस सम्मेलन में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विषयों पर ही चर्चा होती रही। पिछले सम्मेलनों में हुए फैसलों से पुलिस सेवा क्षेत्र से जुड़ी नीतियों में महत्वपूर्ण बदलावों में मदद मिली है।
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