सुप्रीम कोर्ट के 76 वकीलों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एन वी रमना को एक पत्र लिखा है, जिसमें उनसे दिल्ली और हरिद्वार में दो कार्यक्रमों में मुसलमानों के नरसंहार के लिए दिए गए नफरत भरे भाषणों का स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया गया है। पत्र में वकीलों ने कहा कि दिल्ली में (हिंदू युवा वाहिनी द्वारा) और हरिद्वार (यति नरसिंहानंद द्वारा) में आयोजित दो अलग-अलग कार्यक्रमों में 17 और 19 दिसंबर 2021 के बीच नफरत भरे भाषणों में मुसलमानों के नरसंहार का खुलकर आह्वान किया गया।
17 से 19 दिसंबर तक हरिद्वार में तीन दिवसीय 'धर्म संसद' आयोजित की गई, जिसमें मुसलमानों को निशाना बनाने वाले नफरत भरे भाषणों की एक श्रृंखला देखी गई। उत्तराखंड पुलिस ने तीन लोगों के खिलाफ घटना के संबंध में धारा 153 ए के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।
प्रारंभ में प्राथमिकी में केवल पूर्व शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी का नाम था, जिन्होंने हाल ही में हिंदू धर्म अपना लिया और अपना नाम बदलकर जितेंद्र नारायण त्यागी कर लिया था। शनिवार को दो अन्य के नाम भी जुड़ गए। वकीलों ने कहा कि भाषणों में केवल नफरत वाली भाषा नहीं थी, बल्कि एक पूरे समुदाय की हत्या के लिए खुले तौर पर आह्वान किया गया। इस मामले की गंभीरता के कारण सीजेआई से स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया गया है। वकीलों में वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे, सलमान खुर्शीद और प्रशांत भूषण शामिल हैं।
धर्म संसद के नाम पर ये कैसी बोली? नफरत फैलाने वाले अब तक आजाद क्यों?
पत्र में पुलिस की निष्क्रियता का संदर्भ दिया गया क्योंकि उन्होंने सीजेआई को सूचित किया कि कैसे पहले नफरत भरे भाषणों के संबंध में आईपीसी के 153, 153ए, 153बी, 295ए, 504, 506, 120बी, 34 के प्रावधानों के तहत कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। इस प्रकार, ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
'हेट स्पीच' मामले में हरकत में आई हरिद्वार पुलिस, जितेंद्र नारायण त्यागी के खिलाफ दर्ज किया केस
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