नई दिल्ली। पूरे देश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 23 हजार के पार है। लेकिन इसके साथ कुछ सुखद खबरें आती हैं तो इसके साथ परेशान करने वाली खबरें होती हैं। देश के चार बड़े शहरों सूरत, अहमदाबाद, हैदराबाद और चेन्नई की जमीनी हालात की समीक्षा के लिए केंद्रीय टीमें दौरे पर जा रही हैं, तो इसके साथ ही बिहार से जो आंकड़े आए हैं वो परेशान करने वाले हैं। दरअसल उसके पीछे वजह है। 22 मार्च से 20 अप्रैल तक कोरोना के कुल मामले 100 के नीचे थे। लेकिन चार दिनों में आंकड़े में जबरदस्त इजाफा हुआ है।
कोरोना की बेलगाम रफ्तार
अगर 22 मार्च से 20 अप्रैल और 20 अप्रैल से लेकर 24 अप्रैल तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो पहले करीब एक महीने में 95 केस आए। लेकिन पिछले चार दिन में अकेले 81 केस दर्ज हुए हैं। सवाल यह है कि क्या टेस्टिंग की वजह से यह मामले बढ़ गए या कोई और वजह है। क्या चार दिनों में केस में इजाफे के पीछे टेस्टिंग बड़ा कारण है या लॉकडाइउन को जमीन पर नहीं उतारा जा सका।
बिहार में कोरोना केस पर एक नजर
कई सवाल, जवाब का इंतजार
अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि कोरोना के केस इतनी तेजी से बढ़ गए। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन सभी जिलों में केस बढ़ने के कोरोना संक्रमित शख्स के साथ संपर्क है। कोरोना संक्रमित शख्स के संपर्क में आने की वजह से परिवार या उसके आस पड़ोस के लोग संक्रमित हो गए। अगर ऐसा है तो क्या प्रशासन की तरफ से कहीं किसी तरह की चूक हो गई।
जानकार की राय
इस संबंध में डॉक्टर निखिल वर्मा बताते हैं कि निश्चित तौर पर यह शोध का विषय हो सकता है। एक महीने में जितने केस सामने आए करीब उतने ही केस चार दिन में दर्ज हो गए। वो कहते हैं कि इसके पीछे दो वजह हो सकती है पहली कि टेस्टिंग ज्यादा हो रही हो या जिन इलाकों में केस बढ़े हैं वहां लोगों ने छिपाने की कोशिश की हो। जब मामला गंभीर हो गया होगा तो लोगों को स्वास्थ्य महकमे को जानकारी देने के अलावा और दूसरा विकल्प नहीं बचा होगा।
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