देश में कोरोना के खिलाफ टीकाकरण की रफ्तार पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ ने अपनी राय रखी है। उनका कहना है कि वैक्सीनेशन की रफ्तार में कमी के पीछे टीकों के बीच में लंबा अंतराल होना है। उनके मुताबिक डोज 2 और डोज तीन के बीच यानी बूस्टर डोज के बीच 9 महीने का अंतराल का होना बड़ी वजह है। वैक्सीनेशन की रफ्तार में देरी ना हो इसके लिए हमने सरकार को 9 महीने की जगह 6 महीने के गैप का सुझाव औ अपील दोनों की है।
18 साल के ऊपर भी बूस्टर डोज
कोरोना एवं ओमीक्रोन के बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत सरकार ने बच्चों को टीका लगाने के साथ-साथ बुजुर्गों एवं फ्रंटलाइन वर्करों को 'बूस्टर डोज' देने का फैसला किया था। 60 साल और इससे ऊपर के बुजर्गों एवं फ्रंटलाइन वर्कर्स को 10 जनवरी से कोरोना टीके की अतिरिक्त डोज लगनी शुरू की गई थी।इस अभियान के तहत बीमारियों से युक्त 60 साल, इससे ऊपर के व्यक्तियों, फ्रंटलाइन वर्कर्स एवं सभी स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लगाया जाएगा। अतिरिक्त डोज कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज लगने के 39 सप्ताह बाद ली जा सकती है।
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टीकाकरण पहली प्राथमिकता
बुजुर्गों को अतिरिक्त डोज लगवाते समय डॉक्टर का सर्टिफिकेट एवं नुस्खा दिखाने की जरूरत नहीं होगी। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने बताया है कि अतिरक्ति डोज की याद दिलाने के लिए एक करोड़ से ज्यादा स्वास्थ्य कर्मियों, फ्रंटलाइन वर्कर्स एवं 60 साल से ऊपर के बुजुर्गों को एसएमएस भेजा गया है। मंडाविया ने कहा कि कोविन एप के जरिए समय बुक किया जा सकता है।
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