आम आदमी पार्टी के लिए दिल्ली में सरकार बनाने के बाद जिस पहले बड़े राज्य में सफलता मिली वह पंजाब था। दिल्ली की तरह 2017 के पंजाब विस चुनाव के नतीजों ने सभी को चौंका दिया। पंजाब में पहली बार चुनाव लड़ रही आप ने 20 सीटें जीतकर राज्य में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा दी। 2017 के चुनाव में राज्य की दिग्गज पार्टियों शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और भाजपा को शिकस्त देकर आप ने मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा हासिल कर लिया। राज्य में विधानसभा चुनाव 2022 में होने हैं लेकिन पार्टी अभी से इसकी तैयारी में जुट गई है। दिल्ली में 2020 के चुनाव नतीजों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल में आत्मविश्वास जगाया है। दिल्ली में दिग्गज पार्टियों भाजपा और कांग्रेस को हार का स्वाद चखाने वाली आप नई ऊर्जा एवं उत्साह से लबरेज है।
हालांकि, इसके बाद आप की पंजाब इकाई गुटबाजी का शिकार हुई। पार्टी के नेता सुखपाल खैरा ने बगावती तेवर अपनाए लेकिन केजरीवाल ने सूझ-बूझ अपनाते हुए इस विवाद का अंत कर दिया। पार्टी में गुटबाजी का अंत करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आप संयोजक ने बड़ा फैसला लिया। उन्होंने सभी राज्यों एवं जिलों के प्रमुख को निलंबित कर दिया। सांसद भगवंत मान को प्रदेश अध्यक्ष और हरपाल सिंह चीमा को विपक्ष के नेता पद की जिम्मेदारी दी गई। आगे चलकर केजरीवाल ने दिल्ली के तिलक नगर से विधायक जरनैल सिंह को पंजाब का प्रभारी बनाया। अपनी तैनाती के बाद जरनैल ने दिल्ली मॉडल के तर्ज पर राज्य में पार्टी का जनाधार बढ़ाने एवं संगठन मजबूत बनाने की दिशा में काम किया है।
पंजाब में आप को मिल रहे व्यापक जन समर्थन को देखेत हुए पार्टी को उम्मीद थी कि वह 2017 में बेहतर प्रदर्शन करेगी लेकिन पार्टी ने जितना उम्मीद किया था, नतीजे उससे कम आए। इसके बाद मनीष सिसोदिया की जगह जरनैल सिंह को राज्य का प्रभारी बनाया गया। सिसोदिया से पहले राज्य का प्रभार संजय सिंह एवं दुर्गेश पाठक के पास था। सिंह, सिसोदिया एवं पाठक की तुलना में पंजाबी होने की वजह से जरनैल प्रभारी के तौर पर ज्यादा कारगर साबित हुए। जरनैल अक्सर पंजाब के दौरे पर रहते हैं।
जरनैल का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने राज्य की स्थितियों का बारीकी से आकलन किया है। चुनाव लड़ने के लिए वह एक मजबूत संगठन का होना जरूरी मानते हैं। जरनैल सिंह की नजर अब राज्य में पार्टी का एक मजबूत संगठन खड़ा करने की है। आप के प्रदेश अध्यक्ष एवं संगरूर से दो बार के सांसद भगवंत मान कहते हैं कि जरनैल पंजाबी समुदाय से आते हैं, वह पंजाब की संस्कृति एवं उसकी धड़कन पहचानते हैं। वह दिल्ली और पंजाब के बीच एक सेतु की तरह काम करते हैं। वह दिल्ली के फैसले को फैसलों को हम तक पहुंचाते हैं और इससे हमें नीतियों के निर्माण में मदद मिलती है।
पंजाब में जहां तक रणनीति की बात है तो आप इसे लेकर काफी गंभीर है। आगामी विस चुनाव में वह मुख्यमंत्री पद के चेहरे के साथ चुनाव में जाने का इरादा रखती है। भगवंत मान का कहना है कि इस बार पार्टी राज्य में सीएम पद के चेहरे के साथ जाएगी और चेहरा राज्य से ही होगा। मान का कहना है कि हमने 2017 में पहली बार चुनाव लड़ा और 100 साल पुरानी पार्टी को तीसरे स्थान पर पहुंचा दिया। हालांकि, हमने गलतियां कीं लेकिन हमने अपनी गलतियों से सीखा भी है। आप को उम्मीद है कि 2022 का विधानसभा चुनाव जीतेगी और अपनी सरकार बनाएगी।
आप राज्य में प्रमुख चेहरों को अपने साथ जोड़ना चाहती है। इसीलिए मुख्यमंत्री केजरीवाल भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए नवजोत सिंह सिद्धू को अपने साथ जोड़ना चाहते हैं। कई बार सिद्धू के आप में शामिल होने की अटकलें भी लगीं। सूत्रों का कहना है कि सिद्धू अभी अपने पत्ते नहीं खोलना चाहते क्योंकि वह कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के करीबी हैं। दिल्ली में आप पार्टी की भारी सफलता ने पंजाब के लिए उम्मीद जगाई है। दिल्ली में केजरीवाल ने ने भाजपा और कांग्रेस जैसी दिग्गज पार्टियों को हराया है। इससे उनका आत्मविश्वास काफी बढ़ गया है। पार्टी अगले चुनाव में दिल्ली मॉडल को आगे कर राज्य का चुनाव लड़ना चाहेगी। केजरीवाल को उम्मीद है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी एवं महिलाओं को मुफ्त बस की सवारी जैसी नीतियां उन्हें पंजाब में भी फायदा पहुंचाएंगी।
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