Ladakh: भारतीय सेना के 'भीष्म T-90' के आगे टिक नहीं पाएंगे चीनी टैंक

लद्दाख में तैनात भारतीय सेना के भीष्म टी-90 के आगे चीन के हल्के टैंक टिक भी नहीं पाएंगे। भारतीय टैंक कमांडर्स ने ये दावा किया है।

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भारतीय सेना ने लद्दाख में तैनात किए टैंक 
मुख्य बातें
  • लद्दाख में तैनात भारतीय सेना के टी-90 चीनी टैंक के आगे टिक भी नहीं पाएंगे
  • भारतीय टैंक कमांडर्स ने इलाके में तैनात चीनी टैंक को लेकर ये बात कही है
  • अगर चीन और भारत के बीच लड़ाई होती है तो इसमें चीनी टैंक, टी-90 के आगे टिक भी नहीं पाएंगे

नई दिल्ली : करीब छह महीनों से भारत और चीनी सेना के साथ लद्दाख एलएसी पर जारी गतिरोध के बीच भारतीय सेना के टैंक कमांटर्स ने बताया है कि भारतीय सेना के अजेय T-90 भीष्म और चीनी सेना के बीच अगर बख्तरबंद लड़ाई होती है तो इस लड़ाई में चीन के हल्के टैंक टिक भी नहीं पाएंगे। भारतीय सेना के मुताबिक तिब्बती पठार और पूर्वी लद्दाख में दुनिया के टैंक युद्धक्षेत्र में अगर भारत-चीन के बीच लड़ाई हुई तो चीन के हल्के टैंक टिक भी नहीं पाएंगे।

भारत ने एलएसी के पास चीनी सेना पीएलए के साथ आक्रामक युद्धाभ्यास का मुकाबला करने के लिए बड़ी संख्या में टैंक तैनात किए हैं। चीनी सेना ने भी यहां जगह-जगह पर अपने टैंक तैनात किए हैं।

एक टैंक कमांडर ने नाम ना छापने की शर्त पर मीडिया से ये बताया कि 'मेरा मानना ​​है कि अगर वर्तमान स्थिति के दौरान टैंकों को शामिल करने के लिए लड़ाई होती है और वे वहां अपने हल्के टैंकों को तैनात करते हैं, तो मैं आपको विश्वास दिला सकता हूं कि यह हमारे टी -90 और टी -72 के खिलाफ टिक नहीं पाएंगे।' 

अधिकारी उस हालिया रिपोर्ट के बारे में बात कर रहे थे जिसमें बताया गया था कि चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख के हिस्सों में जिसमें चुमार-डेमचोक क्षेत्र भी शामिल है में भारतीय सेना के खिलाफ अपने लाइट टैंक तैनात किए हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने हाल ही में T-15 नाम के एक हल्के टैंक की तैनाती और परीक्षण किया है। इसके अलावा चीनी मीडिया के हवाले से ऐसी रिपोर्ट भी निकल कर आ रही हैं कि उस क्षेत्र में ऊंचे पहाड़ों के बीच की घाटियों में टैंक क्षेत्र में ऑपरेशन के लिए उनके ये लाइट टैंक अधिक उपयुक्त होंगे।

एक अन्य टैंक कमांडर ने कहा कि भारतीय T-90 और T-72, BMP-2 इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स 50 डिग्री से लेकर माइनस 40 डिग्री के तापमान रेंज में बीच भी ऑपरेट किए जा सकते हैं, और वे दुनिया के सभी ऐसे ही संभावित इलाकों और ऊंचाई पर तैनात हैं।

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