उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष पर गिरी गाज, कार्रवाई का कितना होगा असर

विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद अब कार्रवाई का दौर शुरू हो चुका है। उत्तराखंड कांग्रेस ने अपने उपाध्यक्ष अकील अहमद को अनर्गल बयानबाजी के मामले में 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है।

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हार के बाद कार्रवाई का दौर, उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष पर गिरी गाज 
मुख्य बातें
  • उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई
  • अनर्गल बयानबाजी का मामला, 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासन
  • उत्तराखंड में कांग्रेस की हुई थी हार

पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में करारी हार का कांग्रेस समीक्षा कर रही है और जरूरत के हिसाब से कार्रवाई की जा रही है। सोनिया गांधी के निर्देश के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अपने पदों से इस्तीफा दे चुके हैं। इन सबके बीच उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद को पार्टी विरोधी गतिविधि में लिप्त होने का हवाला देते हुए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है। 

अनर्गल बयानबाजी का असर
प्रदेश महासचिव की तरफ से लिखी गई चिट्ठी में कहा गया है कि विधानसभा चुनाव के दौरान अकील अहमद लगातार इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट, सोशल मीडिया के जरिए पार्टी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे जो उनके पद की गरिमा के अनुकूल नहीं था। अनर्गल बयानबाजी से पार्टी की छवि धूमिल हुई है। आप को पहले भी संगठन द्वारा अनर्गल बयानबाजी के संबंध में 8 फरवरी 2022 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। लेकिन सार्वजनिक तौर पर आप पार्टी के खिलाफ बोलते रहे जिसका संज्ञान केंद्रीय नेतृत्व लिया गया। जांच के उपरांत आप के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। 

क्या कहते हैं जानकार

जानकार कहते हैं कि यह तो कांग्रेस की परिपाटी रही है। चुनावी हार के बाद किसी न किसी पर कार्रवाई होती है। चुनावी हार के बाद कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संबंधित राज्यों के अध्यक्षों को पदों से हटने के लिए कहा था। हार के बाद मंथन में कुछ फैसले किए जाते हैं और किसी न किसी को बलि का बकरा बना दिया जाता है। लेकिन असल मुद्दों से कांग्रेस कहीं न कहीं भटक जाती है। पांचों राज्यों में उत्तराखंड, कांग्रेस के लिए सुरक्षित राज्य माना जा रहा था। लेकिन जिस तरह से चुनावी आगाज से पहले ही हरीश रावत को सार्वजनिक तौर पर अपने गुस्से का इजहार करना पड़ा वो अपने आप में इस बात का संकेत था कि सबकुछ ठीक नहीं है। 

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जानकार कहते हैं कि जिस तरह से टिकट बंटवारे के समय नाराजगी देखी गई उसका असर भी चुनावी नतीजों पर पड़ा। कांग्रेस भले ही सब कुछ पारदर्शी होने का दावा करती हो, कार्यकर्ता उसकी पोल खोलते नजर आते हैं। कार्यकर्ताओं ने कहा कि ऐसे उम्मीदवारों को मौका दिया गया जिनकी छवि जनता में अच्छा नहीं थी। इसके साथ ही संगठन के स्तर कांग्रेस की कमजोरी साफ नजर आई। 

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