गाजियाबाद के लोनी में एक मुस्लिम समाज से आने वाले बुजर्ग शख्स को कुछ लोग पीटते हैं और खबर यह आती है कि कुछ हिंदू समाज के लड़कों ने जय श्रीराम का नारा ना बोलने पर पिटाई की। इसे लेकर कई सियासी चेहरों की तरफ से ट्वीट भी किया गया कि यह तो धार्मिक आजादी पर हमला है, अल्पसंख्यक समाज के शख्स को प्रताणिक किया गया है। लेकिन जांच में पता चला कि उस शख्स को मारने- पीटने वाले लोग दोनों समाज थे और झगड़ा ताबीज को लेकर हुआ था। लेकिन सांप्रदायिक सद्भाव खराब करने के लिए कुछ लोगों ने ट्विटर के जरिए संदेश भेजा और ट्विटर की तरफ से बिना तथ्यों की जांच उसे प्रसारित होने दिया गया। अब जबकि ट्विटर पर कानूनी कार्रवाई हुई तो पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी कूद पड़ीं।
ट्विटर की तरह बंगाल सरकार को जमींदोज करने की तैयारी
ममता बनर्जी का कहना है कि दुर्भाग्य से केंद्र सरकार ट्विटर को नियंत्रित नहीं कर सकते लिहाडा उसे जमींदोज करना चाहते हैं, कुठ वैसे ही उनकी सरकार के साथ भी हो रहा है। केंद्र सरकार को पता है कि ममता बनर्जी को नियंत्रित कर पाना मुश्किल है लिहाजा उनकी सरकार को जमींदोज करने की तैयारी की जा रही है, उन्हें यह सब रोकना चाहिए।
क्या कहते हैं जानकार
अब सवाल यह कि ममता बनर्जी इस तरह की बात क्यों कर रही है। टीएमसी के पास इस समय दो तिहाई विधायक हैं तो उन्हें किस बात का डर लग रहा है। जानकार इस सवाल का जवाब कुछ इस तरह देते हैं। यह बात सच है कि ममका बनर्जी सरकार को किसी तरह का खतरा नहीं है। लेकिन वो अब अपने आपको राष्ट्रीय फलक पर देखना चाहती हैं। ट्विटर का मामला केंद्र सरकार के कानून से जुड़ा है और ट्विटर इंडिया के खिलाफ कार्रवाई यूपी सरकार की तरफ से की गई है, ऐसे में ममता बनर्जी का सीधे सीधे इस विषय से किसी तरह का संबंध नहीं है। लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बंदिश उनके लिए ऐसा हथियार है जिसके जरिए वो राष्ट्रीय स्तर पर अपनी बात को रख सकती है।
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