नई दिल्ली। महाराष्ट्र में संख्या बल से साफ है कि बीजेपी और शिवसेना की सरकार बननी चाहिए। लेकिन 50-50 पर पेंच फंसा हुआ है। सोमवार को सीएम देवेंद्र फडणवीस ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात के बाद सिर्फ इतना कहा कि सब कुछ अच्छा होगा और गठबंधन की सरकार बनेगी। इसके साथ ही एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार की सोनिया गांधी से भी मुलाकात हुई थी।
इन मुलाकातों के बीत शिवसेना के मुख्यालय के बाहर एक पोस्टर लगा हुआ है जिसमें आदित्य ठाकरे को सीएम बनाने की बात लिखी हुई है। शिवसेना का कहना है कि वो गठबंधन धर्म निभाने के लिए तैयार हैं। लेकिन हकीकत ये है कि बीजेपी अपने उस वादे को भूल रही है जिसमें ढाई ढाई साल तक सीएम पद के बंटवारे पर सहमति बनी थी।
शिवसेना ने कहा कि अगर बीजेपी को लगता है कि वो अपने वादे को नहीं निभा सकती है तो उनके पास भी सरकार बनाने के सभी रास्ते खुले हुए हैं। शिवसेना के पास 170 विधायकों का समर्थन हासिल है। लेकिन वो चाहते हैं कि विचारधारा का सम्मान करते हुए बीजेपी को आगे आना चाहिए।
इसके साथ ही एनसीपी का कहना है कि वो वेट और वाच पर ध्यान दे रही है। दरअसल महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना गठबंधन के पक्ष में जनादेश है और वो उस जनादेश का अपमान नहीं करना चाहती है। लेकिन अगर तस्वीर बदली तो राज्य के हित में फैसला ले सकती है।
सामना के जरिए बीजेपी पर निशाना
शिवसेना अपने मुखपत्र सामना में संपादकीय के जरिए बीजेपी पर निशाना साधती रहती है। सामना में लिखा गया है कि महाराष्ट्र में जल्द से जल्द सरकार का गठन होना चाहिए। इसके साथ ही बीजेपी पर आरोप लगाया है कि केंद्र के जरिए वो राज्य में शासन करना चाहती है और यह असंवैधानिक है। सीएम देवेंद्र फडणवीस दिल्ली के प्रदूषित माहौल से मुंबई वापस आ चुके हैं और उन्हें सरकार बनाने के संबंध में जल्द से जल्द फैसला करना चाहिए। दूसरी पार्टियों को क्या करना है कि इसका फैसला तो देवेंद्र फडणवीस पर निर्भर करेगा।
आरएसएस के मुखपत्र में शिवसेना पर निशाना
शिवसेना के संपादकीय पर तंज कसते हुए आरएसएस के मुखपत्र तरुण भारत का कहना है कि उन्हें नहीं पता था कि एक संपादकीय से शिवसेना के लोग इस हद तक प्रभावित हो जाएंगे। विक्रम बैताल की जोड़ी को महाराष्ट्र की जनता को जवाब देना होगा। लेकिन शिवसेना अपमे आपको बेचारे के तौर पर पेश कर रही है वो अपने आप को इस तरह से पेश कर रही है जैसे उनमें किसी तरह की खामी न हो। यहां तक कि एनसीपी नेता शरद पवार शिवसेना के दावे पर ऐतराज जता चुके हैं। पवार ने दिल्ली में कहा है कि वो यह नहीं जानते हैं कि शिवसेना किस गणित के जरिए 175 विधायकों के समर्थन का दावा कर रही है। दिल्ली, बिहार, यूपी के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर कांग्रेस कभी भी शिवसेना का समर्थन नहीं करेगी। इस तथ्य को शरद पवार भी जानते हैं। सोनिया गांधी से मिलने के लिए शरद पवार दिल्ली पहुंचे थे। उस मुलाकात का सिर्फ एक ही मकसद था कि शिवसेना और बीजेपी के बीच की खाईं को न बढ़ाया जाए।
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