नई दिल्ली: पूरा देश इस समय लॉकडाउन में है, सामान्य भाषा में समझें तो इसका अर्थ यह है कि लोगों को घरों में कैद रहना है। भारत के इतिहास में शायद यह पहला मौका होगा जब इस तरह का फैसला लिया गया है। इसके पीछे की वजह से तो हर कोई वाकिफ है। कोरोना के संक्रमण से दुनिया के करीब 192 देश प्रभावित हैं जिनमें भारत भी शामिल है।
संयम, संकल्प और सोशल डिस्टेंसिंग का मंत्र
कोरोना के संक्रमण की गंभीरता को समझते हुए 19 मार्च को पीएम नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया और दो शब्द का इस्तेमाल किया संयम और संकल्प। इसके साथ चैत्र नवरात्र के नौ दिनों का हवाला देते हुए 9 आग्रह किए। यही नहीं 22 मार्च को सुबह सात बजे से लेकर 9 बजे तक लोगों से घरों में ही रहने की अपील की। पीएम नरेंद्र मोदी की इस अपील को लोगों ने जबरदस्त समर्थन दिया। 22 मार्च को ही शाम पांच बजे पाच मिनट तक कोरोना के कर्मवीरों का धन्यवाद भी दिया। लेकिन 23 और 24 मार्च को कुछ इस तरह की तस्वीरें आईँ जो चिंताजनक थी।
पीएम मोदी की चिंता समझने के लिए इन दो तस्वीरों को देखिए और खुद अंदाजा लगा सकते हैं।
लॉकडाउन की गंभीरता को समझें
दिल्ली के बंद कमरों में नीति बनाने वालों की पेशानी पर बल पड़ा कि आखिर यह सब क्या हो रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी को खुद ट्वीट कर कहना पड़ गया कि अभी भी कुछ ऐसे लोग हैं जो लॉकडाउन की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं। वो तस्वीरें ऐसी थीं कि जिससे होने वाले खतरे का अंदाजा आप पीएम नरेंद्र मोदी के दूसरे संबोधन में देख, पढ़ और समझ सकते हैं।
आम और खास सभी पर एक जैसा असर
पीएम मोदी ने कहा कि जब वो कहते हैं कि चाहे पीएम हो या आम नागरिकत खतरा सब पर बराबर का है। वो हाथ जोड़कर सबसे अपील करते हैं कि प्लीज लॉकडाउन के मतलब को समझें उसे हल्के में ना लें। उन्होंने 21 दिन के कर्फ्यू का जिक्र नहीं किया। लेकिन यह जरूर कहा कि लॉकडाउन को कर्फ्यू ही समझा जाए।
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