कोलकाता : केंद्र में बीजेपी के सत्ता में आने बाद कई राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी ने जीत का परचम लहराया। पार्टी को धुआंधार मिली जीत ने जहां कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया और देशभर में बीजेपी की पैठ बनाई, वहीं विपक्षी दलों ने अक्सर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया और दावा किया कि इससे छेड़छाड़ की गई, जिसे बीजेपी ने सिरे से खारिज कर दिया। लेकिन अब इसी तरह का दावा पार्टी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा उपचुनाव में हार के बाद किया है।
पश्चिम बंगाल की तीन विधानसभा सीटों- खड़गपुर सदर, करीमपुर व कालीगंज के लिए हुए उपचुनाव के नतीजे गुरुवार (28 नवंबर) को घोषित किए गए, जिसमें सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने क्लीन स्वीप करते हुए तीनों सीटों पर जीत हासिल की और सियासी प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़ दिया। बीजेपी, जो लोकसभा चुनाव के बाद यहां अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर रही थी, को बड़ी हार का सामना करना पड़ा, जब उसने प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष की खड़गपुर सदर सीट भी टीएमसी के हाथों गंवा दी।
दिलीप घोष ने लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यहां से इस्तीफा दे दिया, जिसके कारण यह सीट रिक्त हुई थी। बीजेपी यहां से एक बार फिर जीत की उम्मीद कर रही थी, पर 25 नवंबर को हुए चुनाव में यह सीट उसके हाथ से निकल गई। उपचुनाव में हार के बाद बीजेपी को भी लगने लगा है कि ईवीएम में छेड़छाड़ हुई, जिसके कारण परिणाम टीएमसी के पक्ष में आ गया। बंगाल बीजेपी के नेता राहुल सिन्हा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुवाई वाली टीएमसी पर चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए ईवीएम में छेड़छाड़ की आशंका को भी खारिज नहीं किया। उन्होंने इस संबंध में चुनाव आयोग को रिपोर्ट भेजने की बात भी कही है।
चुनाव परिणामों के ऐलाने के बाद राहुल सिन्हा ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, 'हालांकि सभी चुनावों की निगरानी निर्वाचन आयोग ही करता है, पर उपचुनाव से जुड़े सभी कार्यों का निपटारा राज्य सरकार को ही करना होता है। टीएमसी चुनाव जीतने के लिए कुछ भी कर सकती है।' वह यहीं नहीं रुके, बल्कि यह भी कहा, 'ईवीएम के साथ कुछ भी किया जा सकता है। मतगणना में सत्तारूढ़ पार्टी के द्वारा धांधली से इनकार नहीं किया जा सकता।'
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