लोक जनशक्ति पार्टी किसकी है। इस पार्टी पर राम विलास पासवान के भाई पशुपति पारस का हक है या बेटे चिराग पासवान का। दरअसल 6 सदस्यों वाली एलजेपी में फूट पड़ी और पशुपति कुमार पारस की अगुवाई में पांच सांसद अलग हो गए तो चिराग पासवान की तरफ से दलील दी गई कि एक तरह से पार्टी का अपहरण हुआ और उसके खिलाफ उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट ने अर्जी दी कि पशुपति पारस का पार्टी पर वैधानिक हक नहीं है, हालांकि अदालती लड़ाई चिराग पासवान के खिलाफ गई है और उनके केस को मेरिट ना होने के आधार खारिज कर दिया गया। अब इस मुद्दे पर पशुपति कुमार पारस ने क्या कुछ कहा वो दिलचस्प है।
चिराग पासवान रास्ते से भटक गए
पशुपति पारस ने विक्ट्री साइन बनाते हुए कहा कि वो कोर्ट के फैसले का आदर करते हैं। रामविलास पासवान की प्रापर्टी में चिराग पासवान का अधिकार है, वो मेरे भतीजे हैं, उन्हें किसी तरह का कष्ट नहीं दूंगा। लेकिन रास्ते से वो भटक गए। पार्टी में सभी लोग उनके खिलाफ जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि जब पांच सांसदों ने चिराग को अलग थलग कर दिया तो यह सवाल ही नहीं प्रासंगिक है कि एलजेपी पर उनका हक है।
चिराग पासवान की अर्जी खारिज
चिराग पासवान ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर लोकसभा अध्यक्ष के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें उनके चाचा पशुपति पारस की अगुवाई वाले गुट को सदन में एलजेपी नेता के तौर पर मान्यता दी गई थी। इस मामले में शुक्रवार हो दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच इस मामले में सुनवाई की थी। पार्टी संविधान का हवाला देते हुए उन्होंने अपने चाचा पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। चिराग ने कहा था कि पार्टी विरोधी और शीर्ष नेतृत्व को धोखा देने के कारण लोक जनशक्ति पार्टी से पशुपति कुमार पारस के धड़े को बाहर का रास्ता पहले ही दिखा दिया गया था।
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