नई दिल्ली: राजस्थान के पूर्व राज्यपाल और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह ने कहा है कि जब 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया तो उन्होंने बिगड़ती कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देकर कीमत चुकाई थी। लखनऊ में अपने निवास पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, '6 दिसंबर 1992 को, जब बाबरी मस्जिद को गिराया गया था, मैंने व्यक्तिगत रूप से अयोध्या में अराजकता की पूरी जिम्मेदारी ली थी। मैंने सीएम के पद से इस्तीफा देकर कीमत चुकाई थी। उसी दिन मैंने राज्यपाल को मेरा इस्तीफा सौंप दिया था। मेरा मानना है कि अयोध्या में 2022-23 तक एक भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा जहां दुनिया भर के लोग आएंगे।'
उनके द्वारा चलाए जा रहे मुकदमे पर बोलते हुए, 87 वर्षीय कल्याण सिंह ने कहा, 'मेरे साथ बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी, एमएम जोशी, उमा भारती और अन्य आपराधिक साजिश के आरोपों के तहत मुकदमे का सामना कर रहे हैं। 39 गवाहों में से अदालत में अब तक 7 गवाहों का बयान दर्ज किया गया है। मैं अदालत में मेरे खिलाफ लगाए गए आरोपों पर प्रतिक्रिया दूंगा और मीडिया के सामने नहीं। मुझे भी मस्जिद विध्वंस के बाद अवमानना मामले में एक दिन के लिए जेल भेज गया था।'
कल्याण सिंह ने राम मंदिर पर आए फैसले को लेकर कहा, ‘मैं एक रामभक्त हूं और अर्से से इस आंदोलन से जुड़ा हूं। सभी देशवासियों की तरह मैं भी चाहता हूं कि रामजन्मभूमि पर राम मंदिर बने।’
राजस्थान के राज्यपाल रह चुके सिंह ने कहा कि अयोध्या में 'राम' और 'रोटी' को जोड़ा जाना चाहिए ताकि नगर का विकास हो। उन्होंने विश्वास जताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसे विशेष तीर्थ केन्द्र के तौर पर विकसित कर दुनिया के नक्शे पर लाएंगे।
सिंह ने कहा, 'SC के फैसले को सभी ने शांतिपूर्वक स्वीकार कर लिया है और यह बहुत अच्छी है। देश में सांप्रदायिक सद्भाव और शांति हमेशा बनी रहनी चाहिए। इस फैसले को जीत या हार के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। इसे राष्ट्रहित में लिया गया है।'
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