Agnipath Scheme: जब 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, तो आम तौर पूरी दुनिया इस बात से सहमत थी कि रूस के सामने यूक्रेन चंद दिनों में घुटने टेक देगा। लेकिन चंद दिनों वाला युद्ध 4 महीने तक खिंच चुका है। और ऐसा इसलिए हो पाया है क्योंकि यूक्रेन ने पश्चिमी देशों की मदद से रूस को चुनौती देने के लिए पारंपरिक तरीके से ज्यादा भविष्य के हथियारों का इस्तेमाल किया। जाहिर है रूस-यूक्रेन युद्ध ने दुनिया में भविष्य में होने वाले युद्ध (Future War) की झलक दिखा दी है। ऐसे में आने वाले युद्ध सैनिकों से ज्यादा आधुनिक हथियारों और तकनीकी से लड़े जाएंगे। जिसके लिए न केवल तकनीकी इस्तेमाल करने में माहिर सैनिकों को जरूरत पड़ने वाली है। बल्कि ड्रोन, मिसाइल, साइबर हथियार के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की भी जरूरत पड़ेगी। भविष्य की युद्ध के लिए अमेरिकी, चीन जैसे प्रमुख देशों ने तैयारी भी शुरू कर दी है। ऐसे में चीन जैसे मजबूत पड़ोसी को टक्कर देने के लिए भारत को भी इसी रणनीति पर अपनी सेना को तैयार करने की चुनौती है।
देश | सेना पर खर्च (2021) | GDP के मुकाबले सेना पर खर्च |
अमेरिका | 801 अरब डॉलर | 3.5 % |
चीन | 293 अरब डॉलर | 1.7 % |
भारत | 76.6 अरब डॉलर | 2.7% |
साल 2022-23 के रक्षा बजट के अनुसार भारत करीब 22 फीसदी रकम (1.19 लाख करोड़ रुपये) पेंशन पर खर्च करता है।
Soruce: SIPRI
भविष्य के युद्ध कैसे होंगे
जहां तक भविष्य के युद्ध किस तरह के होंगे, इस पर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) विनोद जी खंडारे ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बताया था 'भविष्य के युद्ध केवल सैन्य शक्ति से नहीं लड़े जाएगी उसमें साइबर और स्पेस युद्ध भी शामिल हो सकते हैं।' और इसी को देखते हुए दुनिया की दो सबसे ताकतवर सेनाएं अपनी रणनीति बना रही है। अमेरिका और चीन इसके लिए तहत ड्रोन, मिसाइल, साइबर जैसे तकनीकी आधारित हथियार पर फोकस कर रहे हैं। इसके अलावा सैन्य संगठन में भी बड़े बदलाव कर रहे हैं।\
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अमेरिका और चीन तेजी से घटा रहे हैं अपनी सेना
Pew Research Centre (PEW) की रिपोर्ट के अनुसार 1990 में अमेरिका के पास 20.65 लाख से ज्यादा एक्टिव सैनिक थे। जो कि 2022 में Statista की रिपोर्ट के अनुसार 30 फीसदी कम होकर 13 लाख के करीब आ गए हैं। इसी तरह चीन ने 2019 तक अपने थल सैनिकों की संख्या में 50 फीसदी तक कटौती कर दी थी। काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस (Council on Foreign Relations) की रिपोर्ट के अनुसार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग सेना के आधुनिकीकरण की रणनीति के तहत बड़े ढांचागत बदलाव कर रहे हैं।
इसके तहत ज्वाइंट थिएटर कमांड (Joint Theater Commnad),सैनिकों की संख्या में बड़े पैमाने पर कटौती और सेना और आम नागरिकों में ज्यादा समन्वय पर फोकस है। वह चीन की सेना को बड़ी थल सेना वाले सैन्य बल की जगह टेरिटोरियल सेना बनाना चाहते हैं। इसके तहत चीन छोटे कमांड स्ट्रक्चर, युवा यूनिट, एयर बॉर्न वॉर्निंग सिस्टम (Air Borne Warning System), ड्रोन, रॉकेट फोर्स इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक , साइबर और मनोवैज्ञानिक ऑपरेशन के लिए स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स (Strategic Support Force)तैयार कर रहा है।
इसी तरह अगर सैनिकों की उम्र की संख्या देखी जाय तो इस समय अमेरिका की करीब 45 फीसदी सैनिक (करीब 6 लाख) ऐसे हैं, जिनकी उम्र 25 साल और उससे कम है।
बदलते दौर में अग्रिवीर क्यों जरूरी
जिस तरह दुनिया के दूसरे देश, सैनिक रिफॉर्म कर रहे हैं। भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए वैसे ही कदम अब भारत में उठाए जा रहे हैं। इसी के तहत एक जनवरी 2020 को पहले सीडीएस नियुक्ति की गई है। जिसका उद्देश्य है कि सेना के तीनों अंगों में इंटीग्रेशन करना, इसके अलावा भविष्य में होने वाले सैन्य ऑपरेशन की तैयारियों के लिए बजट का इस्तेमाल कैसे हों, अगले 5,10,15 साल में क्या खतरे आ सकते हैं। इन सबके लिए रणनीति तैयार करना है। इसके अलावा इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड को जल्द ही मूर्त रूप देने से अहम रिफॉर्म किए जा रहे हैं। भविष्य की जरूरतों के आधार पर नौजवान और टेक सेवी सैनिकों को अग्निपथ स्कीम से जोड़ने की तैयारी है। अभी भारतीय सेना की औसत उम्र 32 साल है। जो कि अग्निवीरों की भर्ती के बाद कम होकर 26 साल हो जाएगी। इसका फायदा ट्रेनिंग से लेकर सैन्य अभियानों में भी मिलेगा।
हालांकि इस समय सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती अग्निपथ स्कीम को लेकर युवाओं में जो संशय फैला है, उसे दूर करना है। क्योंकि जितनी जल्दी उनका गुस्सा शांत होगा, उतनी जल्दी सेना की आधुनिकीकरण और रिफॉर्म की प्रक्रिया रफ्तार पकड़ेगी।
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