नई दिल्ली: अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर की कोरोना वैक्सीन ने असरदार होने के संकेत दिखाए हैं। कंपनी ने कहा है कि उसके टीके के विश्लेषण से पता चला है कि यह कोविड-19 को रोकने में 90 प्रतिशत तक कारगर हो सकता है। इससे भारत समेत दुनियाभर में अच्छी खबर के रूप में देखा गया। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के लिए ये बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं जगाती है। AIIMS के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि फाइजर कोरोना वायरस वैक्सीन को -70 डिग्री सेल्सियस में रखने की जरूरत है और इस तरह के लॉजिस्टिक्स की भारत में व्यवस्था करना मुश्किल हो सकता है।
एम्स-दिल्ली के निदेशक ने कहा, 'फाइजर वैक्सीन को -70 डिग्री सेल्सियस में रखा जाना चाहिए, जो भारत जैसे विकासशील देशों के लिए एक चुनौती है, जहां हमें कोल्ड चेन बनाए रखने में कठिनाइयां होंगी, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों मे। कुल मिलाकर यह तीसरे चरण के परीक्षणों में वैक्सीन रिसर्च के लिए उत्साहजनक खबर है।'
वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि फाइजर एक संभावित टीका विकसित कर रहा है। ऐसे में हर भारतीय को इसे उपलब्ध कराने की व्यवस्था बनाने पर काम करने की जरूरत है। भारत सरकार को टीका वितरण की रणनीति स्पष्ट करने और यह बताने की जरूरत है कि यह हर भारतीय तक कैसे पहुंचेगा।
वैक्सीन के विश्लेषण से जगी उम्मीद
फाइजर ने कहा था कि घोषणा का यह मतलब नहीं है कि टीका जल्द आ जाएगा। स्वतंत्र तौर पर डाटा के विश्लेषण से यह अंतरिम निष्कर्ष निकला है। अध्ययन के तहत अमेरिका और पांच अन्य देशों में करीब 44,000 लोगों को शामिल किया गया। फाइजर के क्लीनिकल डेवलपमेंट के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ बिल ग्रूबेर ने कहा, 'हम अभी किसी तरह की उम्मीद जगाने की स्थिति में नहीं है। हालांकि, हम नतीजों से काफी उत्साहित हैं।' फाइजर और जर्मनी की उसकी सहायक कंपनी बायोएनटेक भी कोविड-19 से रक्षा के लिए टीका तैयार करने की दौड़ में है।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।