नई दिल्ली: बीते जुलाई में जब लखीमपुर खीरी से भाजपा सांसद अजय कुमार मिश्रा 'टेनी' को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी थी, तो उसे 2022 के यूपी चुनाव को देखते हुए ब्राह्मण मतदाताओं को लुभाने का दांव देखा जा रहा था। लेकिन अब यही दांव पार्टी के लिए नई मुसीबत लेकर आ गया है। 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में हुई हिंसा में जिस तरह 8 लोगों की मौत हुई और मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी हुई है। उसने भाजपा के सामने असमंजस खड़ा कर दिया है। पार्टी कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद, पहली बार उत्तर प्रदेश में बैकफुट पर नजर आ रही है और विपक्ष उसे लगातार घेर रहा है। विपक्ष लगातार अजय मिश्रा के इस्तीफे की मांग कर रहा है। पार्टी को भी इस बात का अहसास हो चला है कि जल्द ही इस मामले में कुछ ठोस कदम नहीं उठाए गए तो महज 5 महीने बाद होने वाले विधान सभा चुनावों में मुश्किल खड़ी हो सकती हैं।
हम फॉर्च्यूनर लेकर कुचलने नहीं आए हैं
पार्टी के नेताओं पर लखीमपुर घटना का किस तरह दबाव है, इसे प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के बयान से समझा जा सकता है। उन्होंने रविवार को अल्पसंख्यक मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि हम नेतागिरी करने आए हैं, किसी को लूटने नहीं आए हैं। फॉर्च्यूनर से किसी को कुचलने नहीं आए हैं। वोट मिलेगा तो आपके व्यवहार से मिलेगा। स्वतंत्र देव सिंह के बयान से साफ है कि वह कार्यकर्ताओं के मन में उठे संशय को न केवल दूर कर रहे थे, बल्कि आगे उन्हें कैसे व्यवहार करना है इसकी नसीहत भी दे रहे थे। पार्टी के लिए यह दौर इसलिए भी अहम है क्योंकि प्रदेश में चुनाव होने में बमुश्किल 4-5 महीने बचे हैं। और ऐसे में अगर पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की वजह से कोई घटना घटती है तो विपक्ष को एक और मौका मिल जाएगा।
दिल्ली तक बैठकों का दौर
पार्टी को बढ़ती चुनौती का अहसास है, इस संबंध में पार्टी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा की प्रदेश के बड़े नेताओं से मुलाकात भी हुई है। सू्त्रों के अनुसार नड्डा के साथ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, राज्य महासचिव सुनील बंसल सहित कई वरिष्ठ नेताओं से जमीनी हकीकत को समझने के लिए बातचीत हो चुकी है। फिलहाल पार्टी इस बात पर ही फोकस कर रही है कि जांच प्रक्रिया में कोई भेद-भाव नहीं किया जाएगा और पूरी निष्पक्षता के साथ जांच होगी। आशीष मिश्र की गिरफ्तारी को इसी नजरिए से देखा जा रहा है।
कानून व्यवस्था को उपलब्धि मानती है योगी सरकार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जिस किसी भी मंच पर जाते हैं, वह अपनी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियों में कानून व्यवस्था को ही गिनाते हैं। वह हमेशा कहते हैं कि उनके शासन ने सपा के जंगलराज को खत्म किया। लेकिन लखीमपुर हिंसा, गोरखपुर में कारोबारी मनीष गुप्ता की हत्या से सरकार विपक्ष के निशाने पर है। ऐसे में उस पर लखीमपुर खीरी हिंसा में मामले पर सख्त और जल्द कार्रवाई का दबाव है। इसके अलावा बसपा और दूसरे विपक्षी दल योगी आदित्यनाथ की सरकार पर ब्राह्मणों की अनदेखी का आरोप लगाते रहे हैं।
ब्राह्मण वोट छिटकने का डर
उत्तर प्रदेश में भाजपा को हमेशा से सवर्ण वोटरों का साथ मिला है। प्रदेश में करीब 23 फीसदी सवर्ण वोटर हैं। इसमें से 10-11 फीसदी ब्राहम्ण वोटर है। पार्टी ने अजय कुमार मिश्रा को लखीमपुर खीरी से केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देकर, ब्राह्मण वोटर को साधने की कोशिश की थी। लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर, पीलीभीत, सीतापुर, बहराइच जैसे जिलों में ब्राह्मण वोटर अच्छी संख्या में हैं। पार्टी को उम्मीद थी कि अजय मिश्रा के जरिए, वह यहां पर अपना वोट मजबूत करेगी। ऐसे में अगर अजय मिश्रा को मंत्रिमंडल से हटाया जाता है तो इस बात का डर है कि, उसका दांव कहीं उल्टा नहीं पड़ जाए। भाजपा के एक नेता कहते हैं कि पहले से ही किसान आंदोलन से स्थितियां विपरीत हो रही थी, अब लखीमपुर खीरी हिंसा ने नई मुश्किल खड़ी कर दी है। पार्टी को जल्द से जल्द इस मामले को शांत करना होगा।
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