हैदराबाद की एक विशेष अदालत ने आज यानी 13 अप्रैल को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (AIMIM) के विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी को 2012 में उनके खिलाफ दर्ज अभद्र भाषा के मामलों में दोषी नहीं पाया है। इसमें उनकी वो टिप्पणी भी शामिल है, जिसमें उन्होंने सड़कों से 15 मिनट के लिए पुलिस को हटाने की बात की थी। अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के छोटे भाई अकबरुद्दीन के खिलाफ 8 दिसंबर, 2012 को निजामाबाद में और 22 दिसंबर, 2012 को निर्मल शहर में कथित नफरत भरे भाषणों के लिए मामले दर्ज किए गए थे। उन्हें गिरफ्तार किया गया और बाद में उस समय जमानत पर रिहा कर दिया गया था।
22 दिसंबर 2012 को अकबरुद्दीन ओवैसी ने (तब आंध्र प्रदेश के) निर्मल शहर में एक विशाल रैली को संबोधित किया था, जहां उन्होंने 'सड़कों से 15 मिनट के लिए पुलिस को हटाने' के बारे में एक टिप्पणी की थी। यह टिप्पणी हिंदुओं और मुसलमानों के बीच हिंसा को लेकर थी। उस मामले में उन्हें जनवरी 2013 में अभद्र भाषा के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और एक महीने से अधिक जेल में बिताने के बाद सशर्त जमानत दी गई थी।
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अपराध जांच विभाग (CID) ने निजामाबाद मामले की जांच की और 2016 में आरोप पत्र दायर किया, जबकि निर्मल मामले की जांच करने वाली जिला पुलिस ने भी उसी वर्ष आरोप पत्र जमा किया। निजामाबाद मामले में कुल 41 गवाहों से पूछताछ की गई जबकि निर्मल मामले में 33 लोगों से पूछताछ की गई। 2018 में तेलंगाना विधानसभा चुनाव से पहले भारत के चुनाव आयोग में दायर अपने हलफनामे के अनुसार, अकबरुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उनके खिलाफ 14 आपराधिक मामले दर्ज हैं।
फैसले पर असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा कि अल्हम्दुलिल्लाह अकबरुद्दीन ओवैसी को सांसद/विधायक विशेष अदालत ने उनके खिलाफ कथित नफरत भरे भाषणों के लिए दो आपराधिक मामलों में बरी कर दिया है। उनकी प्रार्थना और समर्थन के लिए सभी का आभारी हूं। एडवोकेट अब्दुल अजीम साहब और वरिष्ठ वकीलों को विशेष धन्यवाद जिन्होंने अपनी बहुमूल्य सहायता प्रदान की।
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