हार के बाद चौतरफा घिरे अखिलेश ! शिवपाल-आजम की करीबी पर क्या करेंगे मुलायम पुत्र

देश
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Apr 22, 2022 | 17:41 IST

Azam Khan-Shivpal Yadav Meeting: 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव की सबसे अहम खासियत रही है कि इस बार मुस्लिम वोट थोक के भाव सपा और उसके सहयोगी दलों को मिला। इसके बाद सत्ता से दूरी अब कई नेताओं को खल रही है।

Azam Khan, Akhilesh and Mulayam Singh Yadav
फाइल फोटो: अखिलेश यादव से नाराज आजम खान खेमा  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • सपा के मुस्लिम नेताओं ने अखिलेश यादव पर मुसलमानों को लेकर उठाए सवाल।
  • आजम खान खेमा अखिलेश यादव पर लगातार हमले कर रहा है।
  • चाचा शिवपाल यादव, अखिलेश से नाराज नेताओं को एकजुट करने की कोशिश में हैं।

Akhilesh Yadav News:राजनीति में हमेशा मौके पर वार किया जाता है। शिवपाल यादव इस समय वहीं कर रहे हैं। वह हर तरफ से भतीजे (अखिलेश यादव) को घेरने की कोशिश में हैं।  ताजा मामला चाचा शिवपाल यादव की,  2 साल से जेल में बंद आजम खान से मुलाकात का है। मुलाकात के बाद उन्होंने अखिलेश यादव का नाम लिए बिना कहा कि समाजवादी पार्टी को आजम खान के लिए आंदोलन करना चाहिए था। आजम खान विधानसभा में सबसे वरिष्ठ नेता हैं। उनके लिए समाजवादी पार्टी संघर्ष करती नहीं दिखी। शिवपाल के बयान से साफ है कि वह उन नेताओं को संदेश देना चाहते है, जो इस समय अखिलेश यादव से नाराज चल रहे हैं।

हार के बाद मुश्किल में अखिलेश

भले ही विधानसभा चुनावों में अखिलेश यादव ने पार्टी के 10 फीसदी वोट बढ़ा दिए और सीटों की संख्या 47 से बढ़ाकर 111 कराई। लेकिन इसके बावजूद उन पर एक बार फिर हार का ठपा लग गया है। और रिकॉर्ड इस बात की गवाही दे रहे हैं कि अखिलेश यादव के नेतृत्व में पार्टी जो भी चुनाव लड़ रही है, उसमें उसे हार का सामना करना पड़ रहा है। और वह सत्ता से दूर होती जा रही है।

2017 का विधानसभा चुनाव सपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा, लेकिन उसे हार का सामाना करना पड़ा।इसके बाद 2019 का लोकसभा चुनाव सपा ने बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा लेकिन उसमें भी पार्टी को भारी नुकसान हुआ और अब 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव की सारी रणनीति धरी रह गई। लगातार हार और सत्ता से दूरी ने समाजवादी पार्टी के कई नेताओं के सब्र का बांध तोड़ दिया है। और वह अब खुलकर अखिलेश के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं।

मुसलमान क्या बना रहे हैं दूरी

यूपी विधानसभा 2022 के चुनाव की सबसे अहम खासियत रही है कि इस बार मुस्लिम वोट थोक के भाव सपा और उसके सहयोगी दलों को मिला। बसपा प्रमुख मायावती ने भी अपनी हार की बड़ी वजह मुस्लिम वोटर का सपा की ओर चले जाना बताया था। इस बार करीब 80 फीसदी मुस्लिम सपा गठबंधन को गए हैं। और उसके 34 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीतकर आए हैं। लेकिन अब  मुस्लिम नेताओं में अखिलेश यादव के खिलाफ नाराजगी दिखाई दे रही है।

इनकी नाराजगी सबसे बड़ा मामला उस वक्त आया, जब अखिलेश यादव ने खुद को विधानसभा में पार्टी का नेता घोषित किया। उसके बाद आजम खान के करीबी और मीडिया सलाहकार फसाहत अली खान ने रामपुर में खुले मंच से अखिलेश यादव पर सीधा हमला किया। उन्होंने कहा 'वाह राष्ट्रीय अध्यक्ष जी वाह, हमने आपको और आपके वालिद साहब (मुलायम सिंह) को चार बार प्रदेश का मुख्यमंत्री बनवाया।आप इतना नहीं कर सकते थे कि आजम खान साहब को नेता विपक्ष बना देते? वह यही नहीं रूके बोले आजम खां साहब के जेल से बाहर नही आने की वजह से हम लोग सियासी रूप से यतीम हो गए हैं।

इसके बाद सपा नेता और संभल से सांसद  डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा भाजपा को छोड़िए समाजवादी पार्टी ही मुसलमानों के हितों में काम नहीं कर रही। इसके अलावा कासिम राईन, मोहम्मद हमजा शेख सहित कई नेताओं ने या तो पार्टी छोड़ी दी है या फिर फिर पार्टी में रहते हुए अखिलेश यादव के बर्ताव पर सवाल उठाए हैं। उन सबका यही कहना है कि समाजवादी पार्टी मुसलमान के सवाल चुप्पी साध कर बैठी है।

आजम खान के परिवार से जयंत चौधरी मिले

इस बीच राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी बुधवार को आजम खां के घर पहुंचे। और वहां पर उन्होंने आजम खां की पत्नी डॉ तजीन फात्मा और बेटे एवं स्वार सीट से विधायक अब्दुल्ला आजम से मुलाकात की। सियासी गलियारों में इस मुलाकात के भी कई मायने निकाले जा रहे हैं। खास तौर पर जब जयंत चौधरी अखिलेश यादव के साथ मिलकर 2022 का यूपी विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। इस मुलाकात के बाद जयंत चौधरी ने बस यही कहा कि आजम खान परिवार से हमारा तीन पीढ़ियों का रिश्ता है। आजम खां के रालोद के शामिल में होने के सवाल पर जयंत चौधरी ने कहा कि कि हमारी ऐसी कोई मंशा नहीं है। 

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अखिलेश की क्या है रणनीति

एक बात तो साफ है कि अखिलेश पार्टी की कमान संभालने के बाद पहली बार मुस्लिम नेताओं की नाराजगी की चुनौती का सामना कर रहे है। ऐसे में उन्हें मालूम है कि अगर मुस्लिम नेता उनसे नाराज हुए तो उनके लिए 2024 की चुनौती बहुत कठिन हो जाएगी। इसलिए शायद बैकडोर से आजम खान के परिवार को मनाने की कवायद भी शुरू हो गई है। सूत्रों के अनुसार जयंत चौधरी का रामपुर दौरा इस कवायद का नतीजा था।

जहां तक चाचा शिवपाल यादव की बात है तो अखिलेश यादव उन्हें लेकर ज्यादा परेशान नहीं दिखते हैं। क्योंकि उन्हें पता है कि चाचा उनके लिए बड़ी चुनौती नहीं बन सकते है। इसलिए वह उन्हें मनाने की कोशिश करते नहीं दिख रहे है। लेकिन अगर शिवपाल यादव, आजम खान को लेकर कई बड़े मुस्लिम नेताओं को अपने पाले में लाकर कोई नया राजनीतिक मंच तैयार करते हैं, तो उसका सबसे बड़ा खामियाजा अखिलेश यादव को ही उठाना पड़ेगा। 

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