बीजेपी को हराने के लिए सभी विपक्षी दल एक साथ आएं, ममता बनर्जी के मिशन दिल्ली को ऐसे समझें

देश
ललित राय
Updated Jul 24, 2021 | 17:54 IST

26 जुलाई को दिल्ली आने से पहले ममता बनर्जी ने सभी विपक्षी दलों से अपील की है कि मतभेदों को भुलाकर एक मंच पर आना जरूरी है।

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26 जुलाई से दिल्ली के दौरे पर होंगी ममता बनर्जी 
मुख्य बातें
  • 26 जुलाई से पांच दिनों की दिल्ली यात्रा पर होंगी ममता बनर्जी
  • 28 जुलाई को विपक्षी दलों के साथ करेंगी बैठक
  • बीजेपी को हराने के लिए सभी विपक्षी दलों से एक मंच पर आने की अपील

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में जीत के बाद सीएम ममता बनर्जी के हौसले बुलंद हैं। अब वो बंगाल से बाहर निकल राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी को चुनौती देने की तैयारी में हैं। उस सिलसिले में वो 26 जुलाई से पांच दिन के दौरे पर दिल्ली में होगी। खास बात यह है कि 28 जुलाई को होने वाली बैठक में उन्होंने कांग्रेस, एनसीपी, एसपी और आरजेडी को न्योता भेजा है।


गैर बीजेपी दल एक साथ आएं
दिल्ली आने से पहले ममता बनर्जी ने सभी दलों से अपील करते हुए कहा कि बीजेपी को हराने के लिए एक होना पड़ेगा। सभी विपक्षी दलों को अपने मतभेदों को भुलाना होगा। लेकिन अहम सवाल यह है कि क्या वो  बीजेपी के खिलाफ विकल्प तैयार कर सकेंगी। दरअसल यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब देने की कोशिश की गई। लेकिन नतीजा कभी कामयाब नहीं रहा। केंद्र की सत्ता में काबिज दल को हटाने के लिए कवायद तो शुरू होती है लेकिन पीएम कौन होगा यह विषय जटिल रहा है। 

क्या कहते हैं जानकार
इस समय देश की सत्ता पर बीजेपी की अगुवाई में एनडीए काबिज है। अगर बात 2024 की करें तो एनडीए लगातर जो टर्म पूरा कर रही होगी। अब सवाल यह है कि क्या एनडीए 2024 में सत्ता में आकर एक अलग तरह का कीर्तिमान बनाएगी या विपक्षी मोर्चा बीजेपी को हटाने में कामयाब हो सकेगा। इस सवाल के जवाब में जानकार कहते हैं कि इसमें शक नहीं कि अब गैर बीजेपी दलों को लगता है कि जनता के सामने मजबूत विकल्प पेश करना ही पड़ेगा। लेकिन सवाल वहीं मौजूं रहता है कि गठबंधन का चेहरा कौन होगा। 

जानकार बताते हैं कि बंगाल में जीत के बाद ममता बनर्जी का हौसला बढ़ा है। एक धड़ा यह मानता है कि वो नरेंद्र मोदी को चुनौती दे सकती हैं। लेकिन क्या कांग्रेस को यह कबूल होगा कि वो ममता बनर्जी को अपना नेता चुनाव से पहले मानेगी। इसका जवाब ना  में है। हां एक तस्वीर यह बन सकती है कि 2024 में त्रिशंकू सरकार बने और  तीसरे मोर्चे के तौर कांग्रेस उनकी दावेदारी को स्वीकार करे। लेकिन लेफ्ट के सामने चुनौती होगी कि वो क्या फैसला लेता है। बहरहाल 2024 के चुनाव में अभी समय है लिहाजा उस समय किस तरह की तस्वीर बनेगी कुछ कह पाना मुश्किल है लेकिन ममता को लगता है कि मोदी सरकार के खिलाफ माहौल बनाने के लिए समय जाया नहीं करना चाहिए। 

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