भारतीय रेलवे ने तय किया है कि सोमवार शाम से वह अपनी सारी ट्रेनें फिर से चलने जा रही है। इसके लिए ईस्ट सेंट्रल रेलवे ने रेलवे के बाकी सभी जोन को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में कहा गया है कि अलग-अलग जोन अपनी ट्रेनें चलाएं और इन ट्रेनों को ईस्ट सेंट्रल रेलवे के इलाके में प्रवेश कराने के लिए वह तैयार है, इससे पहले ईस्ट सेंट्रल रेलवे ने ही ट्रेनों को अपने इलाके में प्रवेश कराने से मना कर दिया था। अग्निपथ स्कीम को लेकर सबसे ज्यादा हंगामा ECR में ही हुआ है और यही पर सबसे ज्यादा ट्रेनों को आग के हवाले किया गया है। जिसकी वजह से ECR ने ट्रेनों की अपने इलाके में एंट्री बंद कर दी थी।
भारतीय रेल की ट्रेनों को सुचारू रूप से चलाने के लिए आरपीएफ की तरफ से भी पूरे देश में अलग-अलग भाषा में चेतावनी दी जा रही है। रेलवे स्टेशनों और आसपास के इलाकों में माईक लाउडस्पीकर से अलग-अलग क्षेत्रीय भाषाओं में लोगों से सरकारी संपत्ति को नुकसान न पहुंचाने की अपील की जा रही है। इसके अलावा लोगों को चेतावनी दी जा रही है कि उपद्रव करने वालों को आगे कभी किसी सरकारी नौकरी में जगह नहीं दी जाएगी।
रेलवे के नुकसान की बात करें तो उसे अग्निपथ स्कीम को लेकर हुए हंगामे से अब तक करीब 1000 करोड़ का नुकसान हो चुका है। हालांकि कुल नुकसान का हिसाब लगाना अभी बाकी है। रेलवे को सबसे बड़ा नुकसान ईस्ट सेंट्रल रेलवे में हुआ है, जहां उसे 241 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। यह इलाका मूल रूप से बिहार में पड़ता है। यहां 61 कोच और 7 इंजन को उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया। बड़ी बात यह है की आग में जलने या गर्म होने के बाद रेलवे के इंजन और डब्बे इस्तेमाल के लायक नहीं रह जाते हैं, क्योंकि उसके लोहे की क्वालिटी बदल जाती है। इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश और तेलंगाना में भी रेलवे को नुकसान हुआ है। जिसमें रेलवे स्टेशन, सिगनलिंग/ टेलीकॉम यूनिट, रेलवे ट्रैक और बाकी संपत्तियां शामिल है।
पैसेंजर लॉस की बात करें तो बीते 2 दिनों से रेलवे में टिकट बुक वालों की भारी कमी आई है। फिलहाल 120 करोड़ की जगह रोजाना केवल 95 करोड़ रुपए की टिकट बुकिंग हो रही है।
वहीं ट्रेनों के कैंसिल होने से रेलवे को बड़ा नुकसान हुआ है। अब तक उपद्रव की वजह से रेलवे ने 1929 ट्रेनें रद्द की है। जिनमें 1067 मेल एक्सप्रेस जबकि 862 पैसेंजर ट्रेन है। रेलवे को मुंबई राजधानी जैसी ट्रेन से 29 लाख रुपए की कमाई होती है। इस तरह मोटे अनुमान के मुताबिक ट्रेनों के रद्द होने से रेलवे को करीब 200 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
इसके अलावा करीब 50 लाख मुसाफिरों को उपद्रवियों के वजह से मुसीबत झेलनी पड़ी है। ट्रेनों के कैंसिल होने से लोग अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाए हैं। अब रेलवे के सामने सबसे बड़ी समस्या अलग-अलग जगहों पर अटके इन लाखों लोगों को मंजिल तक पहुंचाना है। इसके लिए सारी रद्द ट्रेनों को पहले रिस्टोर करना होगा, इसके अलावा स्पेशल ट्रेनें भी चलानी होंगी ताकि अटके मुसाफिरों को भी मंजिल तक पहुंचाया जा सके। यानी कि आंदोलन के नाम पर जिस सरकारी संपत्ति को जलाया गया उसका सबसे बड़ा नुकसान आम लोगों को ही उठाना पड़ रहा है।
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