Amazing Indians Award 2022: कोविड -19 के हीरो हैं सौमित्र मंडल, गांव-गांव तक पहुंचाया ऑक्सीजन सिलेंडर

Amazing Indians 2022 : सौमित्र मंडल बताते हैं, 'सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते, मैं गोसाबा के विभिन्न द्वीपों में कोविड-19 महामारी के दौरान अपने साथी नागरिकों की सहायता करने से खुद को रोक नहीं सका। पश्चिम बंगाल के सुंदरबन में विषम भौगोलिक चुनौतियां के बावजूद मैं ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर, दवाओं आदि के साथ लोगों के दरवाजे पर पहुंचा।'

Amazing Indians Award: Soumitra Mandal is oxygen man and hero of Covid-19
ऑक्सीजन मैन और कोविड -19 के हीरो हैं सौमित्र मंडल। 
मुख्य बातें
  • जब कोरोना चरम पर था तो सौमित्र ने जरूरतमंद लोगों को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने की जिम्मेदारी ली।
  • वह अपनी साइकिल पर एक गाव से दूसरे गांव की सवारी करते थे ।
  • बी.एड के साथ भूगोल के ऑनर्स स्नातक की डिग्री वाले सौमित्र बेरोजगार हैं।

Amazing Indians Awards 2022 : कोरोना संकट के दौरान बहुत सारे लोगों ने अपने जीवन की बाजी लगाकर दूसरों का जीवन बचाने में मदद की। जरूरत मंद लोगों तक ऑक्सीजन, दवाएं पहुंचाईं और अन्य तरीकों से मदद की। इन्हीं में से एक हैं 30 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता सौमित्र मंडल। 12 साल के विशिष्ट अनुभव वाले 30 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता मंडल को 'कोविड -19 हीरोज' की श्रेणी में 'अमेजिंग इंडियंस' पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। 

पुरस्कारों की इस श्रेणी का उद्देश्य उन व्यक्तियों या संगठनों द्वारा समाज की बेहतरी की दिशा में की गई पहलों को सम्मान देना है जिन्होंने समाज को COVID-19 महामारी से उबरने में समाज के लिए अभूतपूर्व कार्य किए। सौमित्र ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान, उन्होंने लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर, दवाएं और अन्य सामान प्रदान करके जीवन को बचाने में अहम योगदान दिया।

सहायता करने से खुद को रोक नहीं सके
सौमित्र बताते हैं, 'सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते, मैं गोसाबा के विभिन्न द्वीपों में कोविड-19 महामारी के दौरान अपने साथी नागरिकों की सहायता करने से खुद को रोक नहीं सका। पश्चिम बंगाल के सुंदरबन में विषम भौगोलिक चुनौतियां के बावजूद मैं ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर, दवाओं आदि के साथ लोगों के दरवाजे पर पहुंचा।' गौर करने वाली बात ये है कि महामारी के दौरान, सुंदरबन के द्वीप कोविड -19 वायरस से प्रभावित थे। सुंदरबन, दुनिया का सबसे बड़ा सक्रिय डेल्टा है जो पहले से ही खराब स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे से के लिए जाना जाता है और गोसाबा ब्लॉक में सभी नौ द्वीपों में सिर्फ एक अस्पताल है। अन्य बीमारियों की तुलना में इन द्वीपों पर कोविड जैसी स्थितियां अधिक चुनौतीपूर्ण रहीं क्योंकि यहां संचार और परिवहन प्रणाली बहुत ही खराब हैं।

साइकिल से जाते थे गांव-गांव
जब महामारी चरम पर थी तो सौमित्र ने जरूरतमंद लोगों को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने की जिम्मेदारी ली। वह अपनी साइकिल पर एक गाव से दूसरे गांव की सवारी करते थे जिसके पीछे एक ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर होता था और COVID से प्रभावित लोगों की जान बचाने की आशा के साथ साइकिल के कैरियर में चिकित्सा आपूर्ति से भरा एक बैग होता था।

खुद उठाते थे यात्रा का खर्च
इस दौरान सौमित्र को प्रशासन से भी सहायता मिली, जिसने द्वीपों पर विभिन्न स्थानों की यात्रा के लिए वित्तीय खर्च वहन किया। कई एनजीओ भी उनकी मदद के लिए आए और मुक्ति और किशोरॉय फाउंडेशन ने उन्हें तीन ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर मुहैया कराए। उन्हें कई सामाजिक कार्यकर्ताओं से मुफ्त ऑक्सीजन सिलेंडर और दवाएं भी मिलीं। इस काम के कारण सौमित्र को सुंदरबन द्वीपों के 'ऑक्सीजन मैन' के रूप में भी जाना जाने लगा।

बेरोजगार हैं सौमित्र
गौर करने वाली बात ये हैं कि  बाली द्वीप के श्री तारक मंडल और श्रीमती उमा रानी मंडल के पुत्र सौमित्र, जिन्हें द्वीपवासियों द्वारा प्यार से 'राजा' के नाम से भी जाना जाता है, स्वयं एक मधुमेह रोगी हैं और उन्हें कोविड का सबसे अधिक खतरा था। इसके अलावा, बी.एड के साथ भूगोल के ऑनर्स स्नातक की डिग्री वाले सौमित्र बेरोजगार हैं और उन्हें अपने निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार का भरण-पोषण भी करना था। इन सबके बावजूद, उन्होंने इस महामारी की स्थिति के दौरान सैकड़ों लोगों की जान बचाई। जून 2021 में, उन्हें कोविड हो गया लेकिन इसके बावजदू उनके सामाजिक कार्यों में कोई कमी नहीं आई और उन्होंने बीमारी से उबरने के तुरंत बाद खुद को अधिक मजबूती के साथ लोगों की मदद करने का फैसला किया।

छात्रों को देते हैं मुफ्त शिक्षा
तीसरी लहर के दौरान, जब भी मरीज उनसे फोन पर संपर्क करते थे तो सौमित्र ने गांव-गांव की यात्रा करके ऑक्सीजन और चिकित्सा आपूर्ति वितरित करके मानवता की सेवा जारी रखी। महामारी के दौरान अपने काम के अलावा सौमित्र छात्रों को मुफ्त ट्यूशन भी देते हैं। ग्रेजुएट सौमित्र को प्रति माह 3000 रुपये के लिए अंशकालिक शिक्षण कार्य मिल गया। 2019 में उनकी नौकरी चले गई लेकिन फिर भी उन्होंने अपने छात्रों को मुफ्त ट्यूशन देना जारी रखा।

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